दुमका. उपराजधानी दुमका समेत पूरे जिले में बुधवार की शाम पांच बजे के करीब आयी तेज आंधी के साथ मूसलाधार बारिश ने जो तबाही मचायी थी, उससे सबसे ज्यादा परेशानी विद्युत विभाग को हुई है. विभाग को जहां बिजली की आपूर्ति को सामान्य करने में पसीने छूट गये, वहीं बहुत ज्यादा नुकसान भी पहुंचा है. कई जगह केवल तार और पोल ही क्षतिग्रस्त नहीं हुए, बल्कि दुमका शहर में कन्वेंशन सेंटर के मुख्य द्वार के सामने एक पेड़ डबल पोल में लगाये गये ट्रांसफर्मर को साथ लेकर गिर गया. इससे पूरे इलाके में बिजली आपूर्ति ठप ही है. दूसरा ट्रांसफर्मर लगाने की पहल अब तक नहीं हो सकी है और न ही पेड़ हटाने की पहल शाम तक हो पायी है. विभागीय पदाधिकारियों की माने तो केवल दुमका शहर में ही पिछले 24 घंटे से लगातार सत्तर-पचहत्तर विद्युत कर्मी बिजली आपूर्ति को पुर्नबहाल करने में लगे थे. हालांकि विभागीय अधिकारियों-कर्मियों के अथक प्रयास से सबेरे 3 बजे तक शहर के प्रमुख फीडर व मेनलाइन में बिजली आपूर्ति बहाल करा ली गयी थी. गुरुवार की देर शाम तक केवल शिवपहाड़, इंजीनियरिंग कालेज सहित कुछ और इलाके में बिजली आपूर्ति बहाल नहीं हो पायी थी. विभाग का प्रयास है कि देर रात तक बचे हुए इलाके में भी बिजली बहाल कर दी जाए. वहीं बिजली न रहने से जहां गुरुवार को जलापूर्ति नहीं हो सकी थी, वहीं शुक्रवार को शहर में सुबह से जलापूर्ति बहाल कर दी जाएगी. दुमका परिसदन के अंदर गिरे सबसे अधिक पेड़ : दुमका परिसदन के अंदर भी लगभग एक दर्जन छोटे-बड़े गिरे है. गुलमोहर का एक विशालकाय पेड़ तो परिसदन के पुराने भवन के उत्तरी छोर वाले इलाके में ही गिर गया, जिससे भवन के अंदर व बरामदे की फाॅल्स सीलिंग झटके से गिर कर लटक गयी. जब पेड़ परिसदन में गिरा, तो उस वक्त वहां मौजूद अतिथि बचकर भाग निकले. पुराने परिसदन के छत को नुकसान पहुंचने से कमरे के अंदर बरसात का पानी घुसने लगा है. वहीं क्षेत्रीय पदाधिकारियों के लिए बने विश्रामगृह तक जाने का रास्ता भी पेड़ गिरने की वजह से बंद हो गया है. मैहर गार्डन के पास भी वन विभाग के परिसर में सखुआ के कई पेड़ गिर गये हैं. आम की फसल को नुकसान, आधे फल गिरे : इस आंधी बारिश से आम के बगीचों को खूब नुकसान पहुंचा है. अधिकांश बगीचों में मालदा, बंबइया, फजली, बीजू ही नहीं हिमसागर व कृष्णभोग जैसे आम आधे से अधिक झ़ड़ गये. इससे बगीचों को डाक पर लेने वालों को बहुत नुकसान हुआ है. अब आम सही आकार ले चुका था और कारोबारी पांच-सात दिन में उसे तोड़कर बाजार में बेचने की योजना बना रहे थे. दाम दर तय कर रहे थे. ऐसे लोगों को बहुत नुकसान उठाना पड़ा है.
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