संतालकाटा : विभिन्न संगठनों ने संतालकाटा तक निकाली पदयात्रा

पदयात्रा का मुख्य उद्देश्य संताल समुदाय के उन बेनाम शहीदों को स्मरण करना व श्रद्धांजलि देना था, जो 7 जुलाई 1855 को महाजनों के अत्याचार से अंग्रेज शासकों के मनमानी के विरुद्ध दुखड़ा सुनाने के लिए भोगनाडीह क्षेत्र से कोलकाता जा रहे थे.

By ANAND JASWAL | July 7, 2025 7:43 PM
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प्रतिनिधि, रानीश्वर गोटा भारत सिदो-कान्हू हूल वैसी दुमका, भारत सेवाश्रम संघ पाथरा व बांगला भाषा व संस्कृति रक्षा समिति के संयुक्त तत्वावधान में सोमवार को संताल काटा पोखर दिगुली में शहीदों के स्मरण में पदयात्रा निकाली गयी. रानीश्वर से दिगुली तक पदयात्रा निकाली गयी. पदयात्रा का मुख्य उद्देश्य संताल समुदाय के उन बेनाम शहीदों को स्मरण करना व श्रद्धांजलि देना था, जो 7 जुलाई 1855 को महाजनों के अत्याचार से अंग्रेज शासकों के मनमानी के विरुद्ध दुखड़ा सुनाने के लिए भोगनाडीह क्षेत्र से कोलकाता जा रहे थे. इसी क्रम में अंग्रेज सेना व महाजनों के द्वारा ऐसे लोगों की निर्मम हत्या कर दी गयी थी. हत्या के बाद पश्चिम बंगाल सीमा के रानीश्वर प्रखंड के दिगुली गांव के पास शवों को दफना दिया गया था. उसी समय से यह पोखर संताल काटापोखर के नाम से जाना जाता है. पदयात्रा में गोटा भारत सिदो-कान्हू हूल वैसी के कार्यकारी अध्यक्ष गमालियल हांसदा, सनातन मुर्मू, सुलेमान मरांडी, डॉ सुशील मरांडी, डॉ लुसू हेंब्रम, इमामी मुर्मू, एलिजाबेथ मरांडी, सुनैना मरांडी, हेलेना हेंब्रम, आल्पना टुडू आदि शामिल थे. पदयात्रा में शामिल सभी ने संताल काटा पोखर दिगुली पहुंच कर शहीदों के स्मरण में श्रद्धांजलि दी.

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