ग्रामीणों ने बंद कराया कोयला वाहनों का परिवहन

पाकुड़ जिले के पंचुवाड़ा स्थित कोल माइंस से दुमका रेलवे रैक तक हो रहे कोयला परिवहन को लेकर लोगों में उबाल है. रविवार से रूट पर कोयला ढुलाई का परिवहन कार्य पूरी तरह से रोक दिया गया. स्थानीय लोगों की अगुआई में आंदोलन काठीकुंड के चांदनी चौक पर शुरू हुआ, जहां ग्रामीणों ने पंडाल लगाकर अनिश्चितकालीन धरना शुरू कर दिया है.

By ANAND JASWAL | June 15, 2025 7:17 PM
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चक्का जाम. कोयला ढुलाई से टूट गयी सड़कें, पर्यावरण प्रदूषण से बढ़ी परेशानी

पाकुड़ जिले के पंचुवाड़ा स्थित कोल माइंस से दुमका रेलवे रैक तक हो रहे कोयला परिवहन को लेकर लोगों में उबाल है. रविवार से रूट पर कोयला ढुलाई का परिवहन कार्य पूरी तरह से रोक दिया गया. स्थानीय लोगों की अगुआई में आंदोलन काठीकुंड के चांदनी चौक पर शुरू हुआ, जहां ग्रामीणों ने पंडाल लगाकर अनिश्चितकालीन धरना शुरू कर दिया है. शिवतल्ला के ग्राम प्रधान जॉन सोरेन के नेतृत्व में सैकड़ों ग्रामीण मांगों के समर्थन में चांदनी चौक पर डटे हैं. सुबह से ही आंदोलनकारियों ने कोयला लदे ट्रकों को धरनास्थल से पहले ही रोकना शुरू कर दिया. चक्का जाम से सैकड़ों हाइवा का परिचालन ठप हो गया. धरनास्थल पर पहुंच कर जिला परिषद अध्यक्ष जॉयस बेसरा ने भी इनकी मांगों को लेकर समर्थन दिया. ग्राम प्रधान श्री सोरेन ने बताया कि धरने से पूर्व इस विषय को लेकर कई बार पश्चिम बंगाल पावर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड (WBPDCL) को पत्राचार कर जनमानस की भावनाओं व मांगों से अवगत कराया था. पर किसी प्रकार की प्रतिक्रिया नहीं मिली. अंततः आमजनों की समस्याओं का निदान न होता देख ग्रामीणों द्वारा सड़क पर उतर कर कोयला वाहनों का चक्का जाम करते हुए धरने पर बैठने का निर्णय लिया गया.

प्रदूषण से जनजीवन प्रभावित, सड़कों का हाल खस्ता : जॉन सोरेन

प्रमुख मांगों के बारे में बताते हुए श्री सोरेन ने कहा कि WBPDCL बिना भूमि अधिग्रहण और स्थानीय लोगों की अनुमति के आदिवासी जमीन का उपयोग कोयला खनन और परिवहन के लिए कर रही है. हर दिन लगभग 10,000 डीजल चालित ट्रकों से करीब 60,000 टन कोयला इस मार्ग से ढोया जा रहा है. इससे न केवल सड़कों की हालत बदतर हो गयी है. बल्कि भारी मात्रा में उड़ने वाली धूल और डीजल से पैदा होने वाला प्रदूषण लोगों के जीवन को प्रभावित कर रहा है. कई ग्रामीणों को सांस की बीमारी हो गयी है. दुर्घटना की संख्या भी बढ़ती जा रही है. प्रदर्शनकारियों के अनुसार कोयला परिवहन अव्यवस्थित, असुरक्षित और अन्यायपूर्ण है. गांवों के बीच से गुजरने वाली सड़कों पर भारी कोयला वाहनों की लगातार आवाजाही से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. मुख्य सड़क पर बाइक चलाना तक मुश्किल हो चुका है.

11 सूत्री मांगों को लेकर आंदोलन पर डटे ग्रामीण

लोगों ने कंपनी और प्रशासन से 11 सूत्री मांगों को तत्काल पूरा करने की बात कही है. इनमें कोल माइंस से दुमका रेलवे साइडिंग तक अलग कोल कॉरिडोर निर्माण, जब तक कॉरिडोर न बने तब तक कोयला परिवहन सुबह 6 बजे से शाम 7 बजे तक बंद रखने, सड़क का चौड़ीकरण, आबादी वाले क्षेत्रों से कोयला वाहनों की आवाजाही हटाने, दुर्घटनाओं में मारे गए लोगों के परिजनों को 20 हजार की मासिक पेंशन और 25 लाख का मुआवजा, घायलों को 5 लाख की आर्थिक सहायता और इलाज का वास्तविक खर्च, जमीन अधिग्रहण का समुचित मुआवजा, हर परिवार के व्यस्क सदस्यों को रोजगार तथा प्रदूषण से प्रभावित गांव के प्रत्येक परिवार को मासिक भत्ता जैसी मांगें शामिल हैं. श्री सोरेन ने कहा ने कि जब तक इन मांगों पर गंभीरतापूर्वक विचार नहीं किया जाता, तब तक रेल मंत्रालय द्वारा कोयला रैक की आपूर्ति रोकी जाए और माइंस संचालन की अनुमति स्थगित की जाए. पर्यावरण स्वीकृति और वनभूमि के मामलों में भी पुनर्विचार की आवश्यकता बतायी. धरना दे रहे लोगों से बात करने काठीकुंड बीडीओ सौरव कुमार, सीओ ममता मरांडी व थाना प्रभारी त्रिपुरारी कुमार धरनास्थल पहुंचे थे, जहां धरने पर बैठे लोगों द्वारा अपनी मांगो के ठोस निदान व कार्यकारी कंपनी से ही सीधे बात करने की अपनी मंशा से पदाधिकारियों को अवगत कराया गया.

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