निर्णय. कोयला परिवहन से प्रभावित कई गांवों के ग्रामीण हो रहे गोलबंद, करेंगे प्रदर्शन
अमड़ापाड़ा, गोपीकांदर, काठीकुंड और दुमका प्रखंड के ग्रामीण पचुवाड़ा कोल परियोजना के विभिन्न गतिविधियों में खिलाफ जोरदार विरोध दर्ज कराने के लिए गोलबंद हो रहे हैं. 15 जून से इसको लेकर कोयला वाहनों का परिवहन साहिबगंज-गोविंदपुर मुख्य पथ के काठीकुंड थाना क्षेत्र स्थित चांदनी चौक पर तब तक के लिए बंद कराने का निर्णय लिया गया है. जब तक इसे लेकर कोई ठोस पहल नहीं की जाती है. इस संबंध में सांसद प्रतिनिधि जोन सोरेन समेत अन्य कई लोगों ने आवेदन एसडीओ को सौंप कर इसकी सूचना दी है. कोयला गाड़ियों के अनिश्चितकालीन बंदी का संचालन करने के लिए जहां चांदनी चौक में पंडाल बनाया जा रहा है. इसे लेकर काठीकुंड के मधुबन से गोपीकांदर सीमा तक जगह-जगह पचुवाड़ा कोयला खान परिवहन प्रभावित संघ के नाम से बड़े-बड़े बैनर लगाये गये हैं, जिनमें कई बिंदु समाहित है. लगे बैनर में लिखा है कि पश्चिम बंगाल पावर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड (WBPDCL) द्वारा बिना भूमि अधिग्रहण और स्थानीय लोगों की सहमति के उनके गांवों की जमीन का इस्तेमाल कोयले के खनन और परिवहन के लिए किया जा रहा है. यह गतिविधियां आदिवासी अधिकारों और पर्यावरणीय संतुलन दोनों के लिए गंभीर खतरा बन गई हैं. यह उल्लेख किया गया है कि प्रतिदिन 10000 से अधिक डीजल चालित ट्रकों से लगभग 60,000 टन कोयले का परिवहन किया जा रहा है, जिससे गांवों की सड़कों की हालत बदतर हो गई है और वातावरण में धूल एवं प्रदूषण का स्तर खतरनाक रूप से बढ़ गया है. इस अवैध खनन और परिवहन से न केवल पर्यावरण पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है, बल्कि स्थानीय लोगों की जान-माल की भी क्षति हो रही है.
आम सूचना जारी कर कंपनी व सरकार से की 11 सूत्री मांग
पचुवाड़ा कोयला खान-परिवहन प्रभावित संघ के बैनर तले एक आम सूचना जारी कर कंपनी और सरकार से 11 सूत्री मांगों को तत्काल पूरा करने की मांग की गयी है. इन मांगों में कोल खदान से दुमका रेलवे साइडिंग तक अलग कोल कॉरिडोर का निर्माण करने, कोरिडोर निर्माण तक कोयला परिवहन सुबह छह बजे से शाम 7 बजे तक बंद रखने और वर्तमान सड़क को चौड़ा करने, ट्रकों को आबादी वाले क्षेत्रों से हटाने, दुर्घटनाओं में मारे गये लोगों के परिजनों को 20 हजार रुपये मासिक पेंशन और 25 लाख रुपये का एकमुश्त मुआवजा, घायलों को पांच लाख रुपये की सहायता राशि और इलाज खर्च देने, मुआवजा और नौकरी देने, सड़क किनारे बसे गांव के प्रत्येक परिवार को ध्वनि व धूल प्रदूषण से रोकथाम के लिए हर महीने 5000 रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान करने, खदान में आदिवासी जमीन की मुआवजा राशि 4.64 करोड़ प्रति एकड़ राज्य सरकार के राज्यादेश द्वार निर्धारित दर के हिसाब से अविलंब भुगतान करने, प्रत्येक परिवार के सभी 18 वर्षीय महिला पुरुष को WBPDCL के रूल से सरकारी निगम की नौकरी देने, उपरोक्त मांगें पूरी नहीं होने तक रेल मंत्रालय द्वारा कोयला रैक उपलब्ध नहीं कराने, कोल कंट्रोलर से माइंस ओपनिंग स्वीकृति को निलंबित रखने, पर्यावरण तथा वनभूमि की अनुमति मांगें पूरी होने तक निलंबित रखने की प्रमुख मांगें शामिल हैं. बैनर में जिला व राज्य प्रशासन यह अनुरोध किया गया है कि उक्त मांगे माने जाने तक शांतिपूर्वक खनन कार्य और अवैध कोयला परिवहन को बंद रखने में आम नागरिकों को हर संभव सहयोग किया जाय, ताकि बड़े दमन अत्याचार और मानवीय हितों की रक्षा की जा सके.
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