
जादूगोड़ा. लगातार बारिश ने यूसिल कॉलोनी के निर्माण की गुणवत्ता की पोल खोल दी है. बुधवार रात गुर्रा नदी के किनारे बनी करोड़ों की लागत से चहारदीवारी भरभराकर गिर गयी. यह दीवार यूसिल कॉलोनी की सुरक्षा के उद्देश्य से एक साल पहले बनायी गयी थी. पहली बारिश में इस दीवार के धराशायी होने से यूसिल प्रबंधन और ठेकेदारों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं. स्थानीय लोगों और कर्मचारियों का कहना है कि निर्माण कार्य के दौरान घटिया सामग्री के इस्तेमाल की शिकायतें कई बार की गयी थी. पर उसपर ध्यान नहीं दिया गया. पहली बारिश ने इन शंकाओं को सच साबित कर दिया. लोग इसे यूसिल में व्याप्त कमीशनखोरी और भ्रष्टाचार का जीता-जागता उदाहरण बता रहे हैं.
सुरक्षा व्यवस्था खतरे में :
स्थानीय लोगों के मुताबिक पहले भी कई बार असामाजिक तत्वों द्वारा इसी रास्ते का इस्तेमाल कर कॉलोनी में घुसपैठ किया जा चुका है. अब यह रास्ता पूरी तरह खुल गया है. इससे आपराधिक गतिविधियों की आशंका बढ़ गयी है. चहारदीवारी निर्माण में अनियमितता और भ्रष्टाचार के आरोप पहले भी लगे थे. हर बार जांच के नाम पर मामले को टाल दिया गया.बारिश से पटमदा व बोड़ाम में 129 कच्चे मकान ढहे
मानसून की बारिश पटमदा में गरीबों के लिए आफत बनकर आयी. इससे तत्काल राहत मिलने की उम्मीद कम नजर आ रही है. लगातार बारिश से एक माह में अब तक पटमदा के विभिन्न गांवों से अंचल कार्यालय को प्राप्त आवेदनों में 27 ऐसे परिवारों ने मुआवजे की मांग की है जिनके कच्चे मकान या तो पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुके हैं या फिर आंशिक रूप से क्षति हुई है. सीओ डॉ. राजेंद्र कुमार दास ने बताया कि अब तक कुल 27 आवेदन प्राप्त हो चुके हैं. इसमें तीन मकान पूर्ण रूप से क्षतिग्रस्त हो चुके हैं, जबकि 16 आंशिक हैं. आठ आवेदनों की जांच प्रक्रिया जारी है. उन्होंने बताया कि सभी आवेदनों को जिला प्रशासन के पास आपदा प्रबंधन विभाग से मुआवजा के लिए भेज दिया जाएगा. वहीं बोड़ाम प्रखंड के विभिन्न गांवों से आंशिक एवं पूर्ण क्षति वाले मकानों के 102 आवेदन मिले हैं. अंचलाधिकारी रंजीत रंजन ने बताया कि जांचोपरांत सभी आवेदनों को जिला में संबंधित विभाग को भेजा जा रहा है.
नरवा पहाड़ यूरेनियम प्रोजेक्ट की पुलिया डूबी, धान के बिचड़े बहे
लगातार हो रही मूसलाधार बारिश के कारण नरवा पहाड़ यूरेनियम प्रोजेक्ट की पुलिया पूरी तरह जलमग्न है. पुलिया डूबने से इस क्षेत्र का संपर्क बाधित हो गया है. इससे पर्यटक और स्थानीय लोग आवाजाही नहीं कर पा रहे हैं. सामाजिक कार्यकर्ता विद्यासागर दास ने बताया कि इस वर्ष रिकॉर्ड बारिश हुई है. इसके चलते स्थानीय नदियां उफान पर है. जलस्तर लगातार बढ़ रहा है. परिणामस्वरूप, नरवा पहाड़ का यह छोटा पुलिया पानी के तेज बहाव में पूरी तरह समा गया. इससे किसानों के बिचड़े भी बह गये हैं.
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