गढ़वा जिले में स्थानीय भाषाओं के शिक्षक, पर विद्यार्थी नहीं गढ़वा. गढ़वा व पलामू जिले के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा में स्थानीय भाषाओं नागपुरी और कुड़ुख को शामिल करने के सरकार के फैसले को फिलहाल स्थगित कर दिया गया है. इस निर्णय को लेकर गढ़वा जिले के विभिन्न राजनीतिक दलों ने विरोध दर्ज कराया था. हालांकि गढ़वा जिले में इन भाषाओं के शिक्षकों की नियुक्ति हो चुकी है, लेकिन विद्यार्थियों की अनुपस्थिति के कारण वे अपनी मूल भाषा की शिक्षा देने में असमर्थ हैं और अन्य विषय पढ़ाने को मजबूर हैं. कुड़ुख और नागपुरी भाषा के सात शिक्षक कार्यरत 2019 से गढ़वा जिले में कुड़ुख और नागपुरी भाषा के कुल सात शिक्षक कार्यरत हैं. जिनमें से पांच कुड़ुख और दो नागपुरी भाषा से संबंधित हैं. इनकी नियुक्ति आदिवासी बहुल क्षेत्रों के विद्यालयों में हुई है, परंतु इन विद्यालयों में इन भाषाओं को पढ़नेवाले विद्यार्थी नहीं मिल रहे हैं. भंडरिया उच्च विद्यालय के शिक्षक भुवनेश्वर उरांव कुड़ुख भाषा के शिक्षक हैं, पर वहां कोई विद्यार्थी कुड़ुख पढ़ना नहीं चाहता. इसलिए वे सोशल साइंस पढ़ा रहे हैं. उनका कहना है कि उनके गांव में लोग कुड़ुख भाषा जानते ही नहीं, जिससे इस विषय में रुचि नहीं है. नागपुरी शिक्षिका ललिता कुमारी, जो 2023 से अमरोरा उच्च विद्यालय में पदस्थ हैं, हिंदी पढ़ा रही हैं क्योंकि नागपुरी पढ़नेवाले छात्र नहीं हैं. फकीराडीह विद्यालय में भी स्थिति यही है यहां पदस्थ शिक्षिका नूतन मिंज बताती हैं कि नागपुरी के लिए कोई छात्र नामांकित नहीं है. नगरउंटारी के गरबांध उच्च विद्यालय में कुड़ुख भाषा के दो शिक्षक वीरेंद्र उरांव और अर्चना कुमारी हैं. यहां मात्र 15–20 छात्र कुड़ुख भाषा पढ़ते हैं. अर्चना कुमारी सोशल साइंस व हिंदी भी पढ़ाती हैं. रमकंडा के उदयपुर विद्यालय की शिक्षिका मोनिका मिंज बताती हैं कि वहां सिर्फ छह विद्यार्थी कुड़ुख पढ़ रहे हैं.
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