प्रतिनिधि, डंडई गढ़वा जिले के दूसरे सबसे बड़े कृषि सब्जी बाजार डंडई में किसानों के लिए बनाया गया करीब 50 साल पुराना बाजार समिति का शेड इन दिनों बेहद जर्जर हालत में है. यह शेड कभी भी धराशायी हो सकता है, जिससे बड़ा हादसा होने की आशंका बनी हुई है. मरम्मत के अभाव में किसान खुले आसमान के नीचे सब्जी बेचने को मजबूर हैं, जिससे उन्हें कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. स्थानीय निवासी भोला विश्वकर्मा ने बताया कि डंडई, रारो और जरही हाट बाजार में लगभग 50 साल पहले 12 शेडों का निर्माण कराया गया था, जो अब पूरी तरह से जर्जर हो चुके हैं. संबंधित विभाग के अधिकारियों और क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों को इस बारे में कई बार सूचित किया गया है और नये निर्माण के साथ-साथ जर्जर शेडों की मरम्मत की मांग भी की गयी है, लेकिन आज तक इस पर कोई ध्यान नहीं दिया गया है. भोला विश्वकर्मा ने चेतावनी दी कि यदि जल्द ही मरम्मत कार्य नहीं कराया गया, तो यह शेड जानलेवा साबित हो सकता है. किसानों का भी यही कहना है कि नया शेड बनाना तो दूर की बात है, 50 साल पुराने शेड की मरम्मत भी नहीं हो रही है, जिससे कभी भी कोई दुर्घटना हो सकती है. किसानों के लिए सुविधाओं का अभाव बताया गया कि साल 1914 में रंकाराज गिरवर प्रसाद सिंह द्वारा किसानों के हित के लिए यहां बाजार लगाना शुरू किया गया था. तब से लेकर आज तक, डंडई बाजार गढ़वा जिले के दूसरे सबसे बड़े कृषि बाजार के रूप में जाना जाता है, जहां सब्जी मंडी, मुर्गी व बकरी बाजार और बैल बाजार अलग-अलग लगते हैं. हालांकि, क्रेता और विक्रेताओं के लिए बाजार समिति में किसी भी प्रकार की अन्य सुविधाएं आज तक बहाल नहीं की गयी है. यह स्थिति किसानों के लिए मुश्किलें पैदा कर रही है, जो खुले में ही अपनी उपज बेचने को मजबूर हैं.
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