गढ़वा. झारखंड प्रदेश आंगनबाड़ी वर्कर्स यूनियन की ओर से शुक्रवार को गढ़वा समाहरणालय के बाहर धरना-प्रर्दशन किया गया. इसकी अध्यक्षता जिलाध्यक्ष कौशल्या देवी ने की. धरना के बाद उपायुक्त व जिला परिषद अध्यक्ष शांति देवी को मुख्यमंत्री के नाम सात सूत्री मांगपत्र सौंपा गया. इस मौके पर मुख्य अतिथि प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष बालमुकूंद सिन्हा ने कहा कि पोषण ट्रैकर ऐप व डिजिटल रिपोर्टिंग की विसंगतियों को दूर करने की जरूरत है. पोषण ट्रैकर एप और डिजिटल रिपोर्टिंग लागू किये जाने से आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के साथ-साथ लाभुकों को भी परेशानी हो रही है. ऑनलाइन उपलब्ध डाटा व वास्तविक स्थिति में काफी विसंगतियां हैं. उन्होंने कहा कि फेस रिक्गनिशन सिस्टम भी आंगनबाड़ी कर्मी व लाभकों के लिए सिर दर्द बन गया है. उन्होंने कहा कि जब तक एफआरएस प्रमाणीकरण में सुधार नहीं किया जायेगा, तब तक गर्भवती, धात्री व तीन माह से लेकर छह साल तक के बच्चों को पोषाहार देने में असुविधा होगी. इस मौके पर प्रदेश अध्यक्ष वीणा सिन्हा, प्रदेश संयोजक रामचंद्र पासवान, संगठन सचिव ग्लोरिया टूडू, कांडी परियोजना अध्यक्ष निभा देवी, गढ़वा परियोजना अध्यक्ष वृंदा देवी, नगरउंटारी परियोजना अध्यक्ष आशा देवी, रंका परियोजना अध्यक्ष बबिता देवी, रंका अनुमंडल अध्यक्ष जमीला खातून, पुष्पा देवी, सुषमा देवी, नीलम देवी, इस्लाम अंसारी आदि उपस्थित थे. ………………………… फेस रिक्गनिशन की वजह से 75 प्रतिशत लाभुक पोषाहार के लाभ से वंचित प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष बालमुकूंद सिन्हा ने कहा कि फेस रिक्गनिशन सिस्टम के तहत लाभुकों को आंगनबाड़ी केंद्र में आना अनिवार्य है तथा फेस मैच कराने के बाद मोबाइल में ओटीपी से ही पोषाहार देना है. इस वजह से 75 प्रतिशत लाभुक पोषाहार के लाभ वंचित हो रहे हैं. उन्होंने कहा कि आंगनबाड़ी रिपोर्टिंग प्रणाली को डिजिटल करने से पहले सभी आंगनबाड़ी केंद्रों को कंप्यूटर व लैपटॉप उपलब्ध कराया जाना आवश्यक है. …………………….. सेविकाओं से बीएलओ का काम कराये जाने पर लगे रोक धरना के दौरान सेविका से बीएलओ का काम कराये जाने पर भी रोक लगाने मांग की. बालमुकूंद सिन्हा ने कहा कि सेविका को बीएलओ बनाये जाने की वजह से रिपोर्टिंग करने व अन्य कई प्रकार की कागजी कार्रवाई, प्रशिक्षण आदि के लिए प्रखंड व निर्वाचन कार्यालय जाना पड़ता है. इससे आंगनबाड़ी का मूल काम बाधित हो जा रहा है. ………………………. सेवानिवृत्ति के बाद मिले पेंशन धरना के दौरान आंगनबाड़ी सेविकाओं ने कहा कि 62 वर्षों तक सरकार उनसे हर कार्य कराती है, लेकिन 62 वर्ष के बाद उन्हें व्हाट्सऐप के माध्यम से सिर्फ मैसेज भेजकर उन्हें हटा दिया जाता है. सेविकाओं ने गुजरात की तरह झारखंड की आंगनबाड़ी सेविकाओं को सेवानिवृत्ति के बाद पांच लाख रुपये नकद व मानदेय का आधा पेंशन के रूप में दिये जाने की मांग की है. जाये. उन्होंने कहा कि आज से प्रारंभ यह आंदोलन राज्यभर के सभी जिलों में लगातार 18 अगस्त तक चलेगा. इसके बाद 20 अगस्त से मुख्यमंत्री आवास के समक्ष अनिश्चितकालीन धरना-प्रदर्शन किया जायेगा.
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