रफ्तार का कहर. जिले में जनवरी से जून तक 390 लोग गंभीर रूप से हुए घायल
जिले में प्रतिमाह औसतन हो रहे हैं 35 से अधिक हादस
ेजागरूकता अभियान के बावजूद नहीं हादसों में कमी नहीं
जिले में सड़क हादसों की बढ़ती संख्या ने एक बार फिर यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि आखिर हर वर्ष चलाये जाने वाले सड़क सुरक्षा जागरूकता अभियान का असर क्यों नहीं दिख रहा है. क्या यह अभियान केवल औपचारिकता बनकर रह गया है, या फिर इसमें कहीं कोई बड़ी खामी है. मालूम रहे कि जिला प्रशासन और परिवहन विभाग हर साल जनवरी महीने में सड़क सुरक्षा जागरूकता माह मनाता है. इस अभियान के तहत पूरे जिले में जागरूकता रथ निकाला जाता है, जगह-जगह पर वाहन जांच अभियान चलाकर लोगों को यातायात नियमों के पालन की सलाह दी जाती है. खासकर हेलमेट नहीं पहनने वाले दो पहिया वाहन चालकों और सीट बेल्ट नहीं लगाने वाले चार पहिया वाहन चालकों को रोका जाता है. उन्हें समझाया जाता है कि सुरक्षा नियमों का पालन करना ना केवल कानूनी जिम्मेदारी है, बल्कि यह उनके जीवन की रक्षा के लिए भी जरूरी है. अभियान के दौरान स्कूलों में भी कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं, ताकि बच्चों के माध्यम से परिवारों में जागरूकता लायी जा सके. इसके अलावा पंपलेट वितरण, पोस्टर बैनर और सोशल मीडिया के माध्यम से भी लोगों को जागरूक करने का प्रयास किया जाता है. फिर भी लोग सर्तक नहीं हो रहे हैं, जो प्रशासन के लिए चिंता का विषय है. अभिभावक भी दुर्घटना रोकने के प्र गंभीर नहीं है. वह नाबालिग बच्चों को दो पहिया वाहन चलाने देते हैं. बच्चे रैश ड्राइविंग कर लगातार दुर्घटना का शिकार हो रहे हैं. ऐसे अभिभावकों पर भी कार्रवाई की आवश्यकता जानकार बताते हैं. देवरी बना सड़क हादसों का ब्लैक स्पॉट
जिले का देवरी थाना क्षेत्र सड़क हादसे का ब्लैक स्पॉट के रूप में उभरा है. जनवरी से लेकर अब तक इस क्षेत्र में 35 सड़क दुर्घटनाएं हो चुकी है. इन घटनाओं में कई लोगों की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि दर्जनों लोग गंभीर रूप से घायल हुए है. लगातार हो रही इन दुर्घटनाओं ने प्रशासन की चिंता बढ़ायी ही है, साथ ही स्थानीय लोगों में भी दहशत का माहौल बन गया है. मालूम रहे कि देवरी होकर कई मुख्य सड़कें हैं. इन सड़कों पर दिन-रात भारी वाहन चलते हैं. तेज रफ्तार में दौड़ते ट्रकें और बसें, ओवरलोडेड वाहन और नियमों की अनदेखी कर रहे बाइक सवार यहां हादसों को दावत दे रहे हैं. कई सड़कों की हालत जर्जर हैं. कहीं गड्ढे हैं, तो कहीं मोड़ पर ना तो स्पीड ब्रेकर है और ना ही चेतावनी बोर्ड, जिससे सड़क पार करने या मोड़ने के दौरान वाहन चालकों को हादसों का सामना करना पड़ रहा है. इसके बाद भी दुर्घटना रोकने की कोई ठोस पहल प्रशासन नहीं कर रहा है. कभी-कभार हेलमेट जांच अभियान व चालान काटने की कार्रवाई होती है, लेकिन यह भी कुछ घंटों तक सीमित रहती है. नतीजा यह होता है कि लोग नियमों को गंभीरता से नहीं लेते और बेधड़क बिना हेलमेट, तीन-चार लोड लेकर दो पहिया वाहन चलाते हैं. वहीं, चार पहिया वाहनों की हाई स्पीड भी बड़ा कारण है.
परिवार को सोचते हुए वाहन चलायें : डीटीओ
जनवरी माह से लेकर अब तक की बड़ी सड़क दुर्घटनाएं
केस स्टडी एक
केस स्टडी दो
19 फरवरी को मधुबन थाना क्षेत्र के लटकट्टो पिकेट के समीप हुई घटना में छह लोगों की मौके पर ही मौत हो गयी थी. चार व दो पहिया वाहन के बीच टक्कर हुई. इसके बाद चार पहिया पेड़ से टकरा गयी. इसमें चार लोग सवार थे, वहीं बाइक में दो लोग सवार थे. केस स्टडी तीन
14 मई को घोड़थंबा ओपी क्षेत्र के पिपराकोनी गांव में अज्ञात वाहन की चपेट में आने से बाइक पर सवार सगे मामा और भांजे की मौके पर ही मौत हो गयी थी. इस घटना से घर में कोहराम मच गया. दो परिवार प्रभावित हुए
केस स्टडी चार
केस स्टडी पांच
17 मई की देर रात हादसे में पति-पत्नी और बच्चे की मौत हो गयी थी. घटना बगोदर-सरिया रोड पर अंबाडीडीह मोड पर पर घटित हुई थी. पूरा परिवार चार पहिया वाहन से रांची से आ रहा था. अंबाडीह के पास वाहन असंतुलित हो गयी थी. केस स्टडी छह
(विष्णु स्वर्णकार, गिरिडीह)
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
जिले में प्रतिमाह औसतन हो रहे हैं 35 से अधिक हादस
ेजागरूकता अभियान के बावजूद नहीं हादसों में कमी नहीं
जिले में सड़क हादसों की बढ़ती संख्या ने एक बार फिर यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि आखिर हर वर्ष चलाये जाने वाले सड़क सुरक्षा जागरूकता अभियान का असर क्यों नहीं दिख रहा है. क्या यह अभियान केवल औपचारिकता बनकर रह गया है, या फिर इसमें कहीं कोई बड़ी खामी है. मालूम रहे कि जिला प्रशासन और परिवहन विभाग हर साल जनवरी महीने में सड़क सुरक्षा जागरूकता माह मनाता है. इस अभियान के तहत पूरे जिले में जागरूकता रथ निकाला जाता है, जगह-जगह पर वाहन जांच अभियान चलाकर लोगों को यातायात नियमों के पालन की सलाह दी जाती है. खासकर हेलमेट नहीं पहनने वाले दो पहिया वाहन चालकों और सीट बेल्ट नहीं लगाने वाले चार पहिया वाहन चालकों को रोका जाता है. उन्हें समझाया जाता है कि सुरक्षा नियमों का पालन करना ना केवल कानूनी जिम्मेदारी है, बल्कि यह उनके जीवन की रक्षा के लिए भी जरूरी है. अभियान के दौरान स्कूलों में भी कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं, ताकि बच्चों के माध्यम से परिवारों में जागरूकता लायी जा सके. इसके अलावा पंपलेट वितरण, पोस्टर बैनर और सोशल मीडिया के माध्यम से भी लोगों को जागरूक करने का प्रयास किया जाता है. फिर भी लोग सर्तक नहीं हो रहे हैं, जो प्रशासन के लिए चिंता का विषय है. अभिभावक भी दुर्घटना रोकने के प्र गंभीर नहीं है. वह नाबालिग बच्चों को दो पहिया वाहन चलाने देते हैं. बच्चे रैश ड्राइविंग कर लगातार दुर्घटना का शिकार हो रहे हैं. ऐसे अभिभावकों पर भी कार्रवाई की आवश्यकता जानकार बताते हैं.देवरी बना सड़क हादसों का ब्लैक स्पॉट
जिले का देवरी थाना क्षेत्र सड़क हादसे का ब्लैक स्पॉट के रूप में उभरा है. जनवरी से लेकर अब तक इस क्षेत्र में 35 सड़क दुर्घटनाएं हो चुकी है. इन घटनाओं में कई लोगों की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि दर्जनों लोग गंभीर रूप से घायल हुए है. लगातार हो रही इन दुर्घटनाओं ने प्रशासन की चिंता बढ़ायी ही है, साथ ही स्थानीय लोगों में भी दहशत का माहौल बन गया है. मालूम रहे कि देवरी होकर कई मुख्य सड़कें हैं. इन सड़कों पर दिन-रात भारी वाहन चलते हैं. तेज रफ्तार में दौड़ते ट्रकें और बसें, ओवरलोडेड वाहन और नियमों की अनदेखी कर रहे बाइक सवार यहां हादसों को दावत दे रहे हैं. कई सड़कों की हालत जर्जर हैं. कहीं गड्ढे हैं, तो कहीं मोड़ पर ना तो स्पीड ब्रेकर है और ना ही चेतावनी बोर्ड, जिससे सड़क पार करने या मोड़ने के दौरान वाहन चालकों को हादसों का सामना करना पड़ रहा है. इसके बाद भी दुर्घटना रोकने की कोई ठोस पहल प्रशासन नहीं कर रहा है. कभी-कभार हेलमेट जांच अभियान व चालान काटने की कार्रवाई होती है, लेकिन यह भी कुछ घंटों तक सीमित रहती है. नतीजा यह होता है कि लोग नियमों को गंभीरता से नहीं लेते और बेधड़क बिना हेलमेट, तीन-चार लोड लेकर दो पहिया वाहन चलाते हैं. वहीं, चार पहिया वाहनों की हाई स्पीड भी बड़ा कारण है.
परिवार को सोचते हुए वाहन चलायें : डीटीओ
जनवरी माह से लेकर अब तक की बड़ी सड़क दुर्घटनाएं
केस स्टडी एक
केस स्टडी दो
19 फरवरी को मधुबन थाना क्षेत्र के लटकट्टो पिकेट के समीप हुई घटना में छह लोगों की मौके पर ही मौत हो गयी थी. चार व दो पहिया वाहन के बीच टक्कर हुई. इसके बाद चार पहिया पेड़ से टकरा गयी. इसमें चार लोग सवार थे, वहीं बाइक में दो लोग सवार थे.केस स्टडी तीन
14 मई को घोड़थंबा ओपी क्षेत्र के पिपराकोनी गांव में अज्ञात वाहन की चपेट में आने से बाइक पर सवार सगे मामा और भांजे की मौके पर ही मौत हो गयी थी. इस घटना से घर में कोहराम मच गया. दो परिवार प्रभावित हुए
केस स्टडी चार
केस स्टडी पांच
17 मई की देर रात हादसे में पति-पत्नी और बच्चे की मौत हो गयी थी. घटना बगोदर-सरिया रोड पर अंबाडीडीह मोड पर पर घटित हुई थी. पूरा परिवार चार पहिया वाहन से रांची से आ रहा था. अंबाडीह के पास वाहन असंतुलित हो गयी थी.केस स्टडी छह
(विष्णु स्वर्णकार, गिरिडीह)
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