सामने आयी अधिकारियों की मनमानी, हाइकोर्ट के आदेश के बाद मचा बवाल
चेक स्लिप खाता नंबर 136 का, तालाब बनाया खाता नंबर 98 में
निजी खर्च से चिह्नित स्थल पर तालाब बनाने का आदेश
जब अधिकारियों ने नहीं सुना तब रैयत ने झारखंड हाइकोर्ट में रिट याचिका दायर की और हाइकोर्ट के निर्देश के आलोक में गिरिडीह के तत्कालीन उपायुक्त ने सुनवाई की. सुनवाई के दौरान तत्कालीन डीसी नमन प्रियेश लकड़ा ने रैयत के अभ्यावेदन में किये गये दावे को सही पाया. इसके बाद उन्होंने गलत भूमि पर तालाब निर्माण कराने में संलिप्त रहे तत्कालीन भूमि संरक्षण पदाधिकारी दिनेश कुमार मांझी, सहायक अभियंता रामबल्लभ मिश्रा, कनीय अभियंता सुनील कुमार, योजना के लाभुक समिति के अध्यक्ष युगल महतो और सचिव मुरली महतो के विरूद्ध जवाबदेही तय करते हुए न सिर्फ सरकारी जमीन पर निजी खर्च से तालाब बनाने का आदेश दिया, बल्कि यह भी आदेश दिया कि ये सभी लोग मिलकर अपने निजी खर्च से रैयत की जमीन पर बने तालाब को भरेंगे.तालाब समतल कर रैयत को मुआवजा भी मिलेगा
बगोदर सीओ को समीक्षा करने का निर्देश
डीसी ने अपने आदेश में बगोदर के सीओ को भी आदेश दिया है कि वे नये तालाब निर्माण कार्य के साथ-साथ पुराने तालाब के भरने के कार्यों की भी समीक्षा करेंगे. कहा गया है कि तीन माह के अंदर उक्त दोनों कार्यों को संबंधित लोगों के द्वारा पूर्ण किया जाना है. ऐसे में तीन माह के भीतर उक्त कार्य को कराने के निमित सीओ समय-समय पर समीक्षा करेंगे और अपना समीक्षा प्रतिवेदन भी उपलब्ध करायेंगे.मनमानी करने वाले अधिकारियों को दी गयी है चेतावनी
अधिकारियों ने ठंढे बस्ते में डाल दी रैयत की शिकायत
इधर खतियानी रैयत कार्तिक महतो ने बताया कि खेतको की उक्त जमीन उनके पूर्वज मलुका कुर्मी के नाम से दर्ज है और खतियान के अलावे पंजी टू में जमाबंदी कायम करने के साथ-साथ लगान रशीद भी निर्गत किया जा रहा है. कहा कि इन तमाम तथ्यों की जानकारी उन्होंने गिरिडीह के डीसी से लेकर भू संरक्षण विभाग के अधिकारियों को भी दी. लेकिन उनके द्वारा की गयी कई शिकायतों को अधिकारियों ने ठंढे बस्ते में डाल दिया.तंग आकर हाइकोर्ट का खटखटाया दरवाजा
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है