धर्म-कर्म. मधुबन में विभिन्न संस्थाओं ने की है व्यापक तैयारी, पहुंचने लगे श्रद्धालु
सुरक्षा व्यवस्था में लगे हैं पुलिस प्रशासन के लोग
सम्मेद शिखर की पावन धरा पर जैन धर्म के 23वें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ के मोक्षकल्याणक दिवस यानी मोक्ष सप्तमी पर देश के विभिन्न प्रांतों से श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा है. सम्मेद शिखर धार्मिक रंग में सराबोर हो गया है. बाज़ारों मे खूब चहल-पहल है. सम्मेद शिखर पहुंचे श्रद्धालु मोक्ष सप्तमी पर हजारों हजार की संख्या में श्रद्धा भाव से पर्वत की वंदना कर स्वर्ण भद्रटोंक पर गुरुवार को) निर्वाण लाडू चढ़ाएंगे.
जगह-जगह धार्मिक अनुष्ठान शुरू
विदित हो कि गुरुवार को सम्मेद शिखर में जैन धर्म के 23वें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ का मोक्षकल्याणक दिवस मनाया जायेगा. देश विदेश से पहुंचे जैन तीर्थयात्री निर्वाण लाडू चढ़ाएंगे. मोक्ष सप्तमी के अवसर पर मधुबन में साधनारत साधु-संतों के सानिध्य में जगह-जगह धार्मिक अनुष्ठान का भी आयोजन किया गया है. गगनभेदी जयकारों एवं मंत्रोच्चार से पूरा मधुबन गूंज रहा है.
भव्य तैयारी की गयी है :
मुस्तैद है प्रशासन
इसलिए सम्मेद शिखर की अहमियत है
झारखंड बिहार की सबसे ऊंची चोटी सम्मेद शिखर पारसनाथ पर्वत के शिखर पर जैन धर्म के चौबीस में से बीस तीर्थंकरों समेत अनगिनत साधु संतों ने साधना आराधना कर निर्वाण को प्राप्त किया है. 23 वें तीर्थंकर के नाम से सिद्धभूमि पारसनाथ पर्वत प्रसिद्ध है. समुद्रतल से लगभग 1365 मीटर ऊंची शृंखलाबद्ध चोटियों वाले पर्वत पर तीर्थंकरों के पदचिह्न स्थापित हैं. शास्त्रों के अनुसार लगभग तीन हजार वर्ष पूर्व जैन धर्म के 23 वें तीर्थंकरों ने भगवान पार्श्वनाथ पर्वत स्थित स्वर्णभद्र टोंक पर निर्वाण यानी मोक्ष को प्राप्त किया था. भगवान पार्श्वनाथ कर्मो की निर्जरा करते हुए सावन सुदि सप्तमी के दिन निर्वाण को प्राप्त किया था. इसीलिए सम्मेद शिखर पारसनाथ जैन धर्मावलंबियों का आस्था का केंद्र माना जाता है.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
सुरक्षा व्यवस्था में लगे हैं पुलिस प्रशासन के लोग
सम्मेद शिखर की पावन धरा पर जैन धर्म के 23वें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ के मोक्षकल्याणक दिवस यानी मोक्ष सप्तमी पर देश के विभिन्न प्रांतों से श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा है. सम्मेद शिखर धार्मिक रंग में सराबोर हो गया है. बाज़ारों मे खूब चहल-पहल है. सम्मेद शिखर पहुंचे श्रद्धालु मोक्ष सप्तमी पर हजारों हजार की संख्या में श्रद्धा भाव से पर्वत की वंदना कर स्वर्ण भद्रटोंक पर गुरुवार को) निर्वाण लाडू चढ़ाएंगे.
जगह-जगह धार्मिक अनुष्ठान शुरू
विदित हो कि गुरुवार को सम्मेद शिखर में जैन धर्म के 23वें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ का मोक्षकल्याणक दिवस मनाया जायेगा. देश विदेश से पहुंचे जैन तीर्थयात्री निर्वाण लाडू चढ़ाएंगे. मोक्ष सप्तमी के अवसर पर मधुबन में साधनारत साधु-संतों के सानिध्य में जगह-जगह धार्मिक अनुष्ठान का भी आयोजन किया गया है. गगनभेदी जयकारों एवं मंत्रोच्चार से पूरा मधुबन गूंज रहा है.
भव्य तैयारी की गयी है :
मुस्तैद है प्रशासन
इसलिए सम्मेद शिखर की अहमियत है
झारखंड बिहार की सबसे ऊंची चोटी सम्मेद शिखर पारसनाथ पर्वत के शिखर पर जैन धर्म के चौबीस में से बीस तीर्थंकरों समेत अनगिनत साधु संतों ने साधना आराधना कर निर्वाण को प्राप्त किया है. 23 वें तीर्थंकर के नाम से सिद्धभूमि पारसनाथ पर्वत प्रसिद्ध है. समुद्रतल से लगभग 1365 मीटर ऊंची शृंखलाबद्ध चोटियों वाले पर्वत पर तीर्थंकरों के पदचिह्न स्थापित हैं. शास्त्रों के अनुसार लगभग तीन हजार वर्ष पूर्व जैन धर्म के 23 वें तीर्थंकरों ने भगवान पार्श्वनाथ पर्वत स्थित स्वर्णभद्र टोंक पर निर्वाण यानी मोक्ष को प्राप्त किया था. भगवान पार्श्वनाथ कर्मो की निर्जरा करते हुए सावन सुदि सप्तमी के दिन निर्वाण को प्राप्त किया था. इसीलिए सम्मेद शिखर पारसनाथ जैन धर्मावलंबियों का आस्था का केंद्र माना जाता है.
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