Giridih News :गोस्वामी तुलसीदास व मुंशी प्रेमचंद की जयंती मनी
Giridih News :उत्क्रमित मध्य विद्यालय सिकरूडीह में गुरुवार को विद्यालय परिवार ने गोस्वामी तुलसीदास व मुंशी प्रेमचंद की जयंती मनायी. उनकी तस्वीर पर माल्यार्पण किया गया और उनकी कृति से बच्चों को अवगत कराया गया.
By PRADEEP KUMAR | August 1, 2025 12:19 AM
उत्क्रमित मध्य विद्यालय सिकरूडीह में गुरुवार को विद्यालय परिवार ने गोस्वामी तुलसीदास व मुंशी प्रेमचंद की जयंती मनायी. उनकी तस्वीर पर माल्यार्पण किया गया और उनकी कृति से बच्चों को अवगत कराया गया. प्रधानाध्यापक पप्पू कुमार ने कहा कि तुलसीदास ने श्रीरामचरित मानस की रचना कर समाज को एक नयी दिशा दी. ऐसे संतों को याद कर हम अपने मानव जीवन से महामानव की ओर प्रेरित हो सकते हैं. आज ही के दिन साहित्य के महान लेखक व उपन्यासकार मुंशी प्रेमचंद जी की भी जयंती है. प्रेमचंद ने गोदान, ईदगाह, पंच परमेश्वर, नमक का दारोगा जैसी रचना कर समाज के सभी वर्गों को एक सामाजिक जीवन जीने की राह दिखायी. हमें उनकी इस कृति को सम्मान देने की जरूरत है. जागेश्वर पांडेय ने तुलसीदास की रचना पर विस्तार से चर्चा की और बच्चों को सच्ची राह के लिए प्रेरित किया. मौके पर शिक्षक शोभरण मंडल, विजय शर्मा, क्रांति हांसदा, उमेश मंडल, सीमा दास, मो मुस्तकीम सहित बाल संसद के बच्चे शामिल थे.
सरस्वती शिशु विद्या मंदिर पिहरा में प्रतियोगिता का आयोजन
सरस्वती शिशु विद्या मंदिर पिहरा में तुलसीदास जयंती के अवसर पर प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया. बच्चों ने सुलेख , चित्रकला व निबंध प्रतियोगिता में भाग लिया. कक्षानुसार प्रथम व द्वितीय स्थान प्राप्त करनेवाले प्रतिभागियों की रचनाओं को प्रांतीय कार्यालय भेजा जायेगा. प्रांत स्तर पर अव्वल स्थान लाने वाले प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र के साथ पुरस्कृत किया जायेगा. प्रतियोगिता के बाद तुलसीदास जी के चित्र पर पुष्पांजलि व माल्यार्पण कर उन्हें नमन किया गया. वक्ताओं ने कहा कि तुलसीदास केवल महाकवि या संत ही नहीं बल्कि एक क्रांतिकारी युगद्रष्टा भी थे. उनके जीवन काल में दिल्ली में मुगलों की सत्ता थी. ऊंचे घराने के लोग विलासिता में डूबे थे तथा नीचे स्तर के लोग अभावों से त्रस्त होकर आत्मगौरव खो रहे थे. ऐसे घोर निराशा के काल में गोस्वामी तुलसीदास ने श्रीराम के जीवन को जनभाषा में प्रतिष्ठित कर समाज को एक दिशा दी. उन्होंने पराधिन सपनेहुं सुख नाहीं का मंत्र देकर लोगों के अंदर स्वाधीनता की ललक उत्पन्न की. गोस्वामी तुलसीदास संघर्ष व विद्रोह के कवि थे. मौके पर प्रधानाचार्य वीके पांडेय, राजेंद्र विश्वकर्मा, कमल किशोर सिंह, चंचला देवी, कौशल किशोर सोनू, श्यामसुंदर सिंह, प्रमोद कुमार, रजनी गुप्ता, मुन्ना विश्वकर्मा, अजीत कुमार व रानी कुमारी समेत विद्यालय के सभी आचार्य व विद्यार्थी उपस्थित थे.
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