चूल्हे पर चढ़ी दिखावे की देगची : गरीब-मजदूरों के लिए बनने वाले भोजन की लूट
200 की जगह 10-12 लोगों को ही परोसते हैं भोजन
महिला जागरण स्वयं सहायता समूह कर रहा योजना का संचालन
एमओ ने भी माना : मानक के अनुसार केंद्र का संचालन नहीं
घर से मजदूरी के लिए निकले मजदूरों और गरीबों-वंचितों को सस्ते दर पर भोजन की व्यवस्था के लिए राज्य सरकार ने मुख्यमंत्री दाल-भात योजना शुरू की थी. योजना के तहत पांच रुपये में कराया जाता है. लेकिन गिरिडीह में यह योजना खाओ-पकाओ बनकर रह गयी है. गांडेय में मुख्यमंत्री दाल-भात योजना कागजों पर ही चल रही है. यहां योजना का संचालन महिला जागरण स्वयं सहायता समूह कर रहा है. गांडेय में गरीब-मजदूरों के भोजन के नाम पर लूट मची है. आलम यह है कि यहां कभी 10-20 लोग भी भोजन नहीं करते हैं. केंद्र में एक चूल्हा है. दो बजते-बजते खाना खत्म हो जाता है. इसके बाद कोई नजर नहीं आता. समूह की प्रमिला देवी ने बताया कि छह-सात किलो चावल बना था, जो खत्म हो गया है. रजिस्टर दिखाने के सवाल पर कहा कि 10-12 लोग खाना खाकर जाते हैं और कुछ पार्सल ले जाते हैं. यहां कोई रजिस्टर नहीं है.माह में 12 क्विंटल मिलता है चावल
जानकारों की मानें, तो योजना के तहत प्रति माह 12 क्विंटल चावल यानी प्रतिदिन 40 किलो अनाज आवंटित होता है. नियमानुसार प्रतिदिन 200 लोगों को पांच रुपये प्रति प्लेट भोजन देना है. लेकिन 10-12 लोगों को ही भोजन परोसा जाता है. केंद्र नहीं चलने का एक बड़ा कारण इसका स्थल भी है. यह स्थल सुनसान जगह पर है.
मानक के अनुरूप नहीं है केंद्र :प्रभारी प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारी
प्रभारी प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारी निलेश कुमार ने कहा कि ग्रामीणों की शिकायत पर दाल-भात योजना की स्थिति का अवलोकन किया. मानक के अनुसार केंद्र का संचालन नहीं हो रहा है. एक तो केंद्र का स्थल गलत है, वहीं मानक के विपरीत कार्य किया जा रहा है. मामले में जिला आपूर्ति पदाधिकारी से पत्राचार किया जायेगा.
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