Giridih News: साक्ष्यों के अभाव में हत्या के चार आरोपियों को अदालत ने किया रिहा

Giridih News: जिला व सत्र न्यायाधीश चतुर्थ हरि ओम कुमार की अदालत ने सोमवार को हत्या के चार आरोपियों को साक्ष्यों के अभाव में रिहा कर दिया. बचाव पक्ष के अधिवक्ता महीप मयंक ने कहा कि यह न्याय की जीत है. मामला देवरी थाना अंतर्गत खैरोडीह गांव का है.

By MAYANK TIWARI | July 1, 2025 12:10 AM
feature

कांड के सूचक मनोरमा देवी के बयान पर 24 जुलाई 2009 को भारतीय दंड विधान की धारा 302 के तहत अभियुक्त मुस्लिम अंसारी, वारिस खान, ललन सिंह यादव और छोटू खान के विरुद्ध प्राथमिक दर्ज की गयी थी. प्राथमिकी में सूचक ने आरोप लगाया कि 27 जुलाई 2009 को रात 8:00 बजे मृतक बाबूलाल साहू अपनी पत्नी से झगड़ा कर रहा था. बहू को बचाने के लिए जब मृतक की मां सामने आयी तो मृतक ने अपनी मां के साथ मारपीट की. इससे नाराज चारों अभियुक्तों ने बाबूलाल साहू के साथ मारपीट की. वह गंभीर रूप से जख्मी हो गया. इलाज के लिए अस्पताल ले जाया गया, जहां वह 23 जुलाई को ठीक होकर अपने गांव लौटा, तो बाबूलाल अभियुक्तों के पास अपने इलाज में खर्च हुए पैसे मांगने गया.इस पर पुनः अभियुक्तों ने रात में फिर उसके साथ मारपीट की. इससे 24 जुलाई की रात बाबूलाल की मृत्यु हो गयी. अभियोजन की ओर से सूचक समेत रेखा देवी, प्रतिमा देवी, मनोज साव, भैरो साव, लेखो साव, लाटो साव, बैजनाथ शाव, द्वारिका महतो,अलखी देवी, मोहम्मद अलाउद्दीन, ठाकुर पासवान, पोस्टमार्टम करनेवाले चिकित्सक डॉ. सीके शाही की इसमें गवाही करायी गयी थी. इन 15 साक्षियों में 6 साक्षियों को अभियोजन पक्ष ने द्रोही घोषित कर दिया था. सूचक पक्ष की ओर से अधिवक्ता बालगोविंद साव ने कहा कि यह एक जधन्य व क्रूर हत्या है. मामूली बात पर चार लोगों ने बाबूलाल साहू की पीटकर हत्या कर दी.

अधिवक्ता महीप मयंक ने विस्तार से अभियुक्तों का पक्ष रखा

बचाव पक्षी की ओर से अधिवक्ता महीप मयंक ने विस्तार से अभियुक्तों का पक्ष रखा. कहा कि इस कांड में हत्या का कोई मोटिव नहीं है और ना ही अभियुक्तों की कोई आपराधिक पृष्ठभूमि है. केवल बाबूलाल की मौत के बाद यह झूठी कहानी अभियोजन की ओर से गढी गयी. बड़ा सवाल यह है कि कोई यदि अपनी पत्नी के साथ झगड़ा करेगा तो गांववाले उसकी हत्या क्यों कर देंगे. कहा कि जिन साक्षियों ने अपने बयान दिये हैं, उनका अदालत में आचरण भी संदिग्ध दिखा. वे साक्षी स्वाभाविक साक्षी नहीं माने जा सकते. इतना ही नहीं साक्षियों के बयान में भी भारी अंतर्विरोध है. अभियोजन अपने मामले को साबित करने में पूरी तरह से विफल रहा. इसमें यह बात सामने आई कि केवल भयादोहन के लिए यह सारी रचना की गयी. बचाव पक्ष की ओर से महीप मयंक के साथ अधिवक्ता प्रदीप पांडेय और सदाकत हुसैन उर्फ बब्बन खान ने भी बहस की थी. दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद अदालत ने फैसला सुरक्षित रखा था. सोमवार को अदालत में न्यायाधीश ने यह फैसला सुनाया.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

संबंधित खबर और खबरें

यहां गिरिडीह न्यूज़ (Giridih News) , गिरिडीह हिंदी समाचार (Giridih News in Hindi), ताज़ा गिरिडीह समाचार (Latest Giridih Samachar), गिरिडीह पॉलिटिक्स न्यूज़ (Giridih Politics News), गिरिडीह एजुकेशन न्यूज़ (Giridih Education News), गिरिडीह मौसम न्यूज़ (Giridih Weather News) और गिरिडीह क्षेत्र की हर छोटी और बड़ी खबर पढ़े सिर्फ प्रभात खबर पर .

होम E-Paper News Snaps News reels
Exit mobile version