कांड के सूचक मनोरमा देवी के बयान पर 24 जुलाई 2009 को भारतीय दंड विधान की धारा 302 के तहत अभियुक्त मुस्लिम अंसारी, वारिस खान, ललन सिंह यादव और छोटू खान के विरुद्ध प्राथमिक दर्ज की गयी थी. प्राथमिकी में सूचक ने आरोप लगाया कि 27 जुलाई 2009 को रात 8:00 बजे मृतक बाबूलाल साहू अपनी पत्नी से झगड़ा कर रहा था. बहू को बचाने के लिए जब मृतक की मां सामने आयी तो मृतक ने अपनी मां के साथ मारपीट की. इससे नाराज चारों अभियुक्तों ने बाबूलाल साहू के साथ मारपीट की. वह गंभीर रूप से जख्मी हो गया. इलाज के लिए अस्पताल ले जाया गया, जहां वह 23 जुलाई को ठीक होकर अपने गांव लौटा, तो बाबूलाल अभियुक्तों के पास अपने इलाज में खर्च हुए पैसे मांगने गया.इस पर पुनः अभियुक्तों ने रात में फिर उसके साथ मारपीट की. इससे 24 जुलाई की रात बाबूलाल की मृत्यु हो गयी. अभियोजन की ओर से सूचक समेत रेखा देवी, प्रतिमा देवी, मनोज साव, भैरो साव, लेखो साव, लाटो साव, बैजनाथ शाव, द्वारिका महतो,अलखी देवी, मोहम्मद अलाउद्दीन, ठाकुर पासवान, पोस्टमार्टम करनेवाले चिकित्सक डॉ. सीके शाही की इसमें गवाही करायी गयी थी. इन 15 साक्षियों में 6 साक्षियों को अभियोजन पक्ष ने द्रोही घोषित कर दिया था. सूचक पक्ष की ओर से अधिवक्ता बालगोविंद साव ने कहा कि यह एक जधन्य व क्रूर हत्या है. मामूली बात पर चार लोगों ने बाबूलाल साहू की पीटकर हत्या कर दी.
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