देश में साल 1975 में लगाये गये आपातकाल के 50वें वर्ष पर बुधवार को भाजपा की ओर से सरस्वती शिशु विद्या मंदिर गिरिडीह में सेमिनार आयोजित किया गया. इसकी अध्यक्षता भाजपा जिलाध्यक्ष महादेव दुबे ने की. इस मौके पर मुख्य रूप से भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सह नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी उपस्थित थे. श्री मरांडी ने कहा कि आपातकाल भारतीय लोकतंत्र का काला अध्याय है. 25 जून 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल घोषित किया था. यह आपातकाल संविधान के अनुच्छेद 352 के अंतर्गत लगाया गया, इसमें उन्होंने आंतरिक अशांति का हवाला दिया. यह आपातकाल 21 महीने तक चला. 12 जून 1975 को इलाहाबाद हाईकोर्ट का वह ऐतिहासिक फैसला, जिसमें इंदिरा गांधी के चुनाव को अवैध ठहरा दिया गया. साथ ही जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में देशभर में सरकार विरोधी आंदोलन भी तेज हो गया था. इन परिस्थितियों से बचने और सत्ता पर बने रहने के लिए इंदिरा गांधी ने आपातकाल लागू किया. उन्होंने कहा कि आपातकाल के दौरान मौलिक अधिकारों को समाप्त कर दिया गया. हजारों राजनीतिक नेताओं और कार्यकर्ताओं को जेल में डाल दिया गया. प्रेस और मीडिया पर सेंसरशिप लागू कर दी गयी. आम जनता की आवाज को दबा दिया गया और सरकार के विरोध को देशद्रोह कहा जाने लगा. कहा कि जयप्रकाश नारायण, अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी, मोरारजी देसाई सरीखे नेता बिना किसी मुकदमे के जेलों में बंद कर दिये गये. यह वह समय था जब भारत एक स्वतंत्र देश होते हुए भी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से वंचित था. आपातकाल में संविधान की मर्यादाओं को ताक पर रखकर देश में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, प्रेस की आजादी और नागरिक अधिकारों का गला घोंटा गया. कांग्रेस सरकार ने सत्ता की लालसा में पूरे देश को एक खुली जेल में बदल दिया, जहां विरोध की हर आवाज को बेरहमी से कुचलने का प्रयास किया गया. कहा कि कोई भी सत्ता जनतंत्र की ताकत को अधिक समय तक दबा नहीं सकती. 1977 के चुनाव में जनता पार्टी की ऐतिहासिक जीत हुई और मोरारजी देसाई देश के प्रधानमंत्री बने. यह जीत सिर्फ एक राजनीतिक बदलाव नहीं था, यह भारतीय जनता की लोकतंत्र में अडिग आस्था की जीत थी.
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