सूदखोरी, महाजनी प्रथा के खिलाफ आंदोलन हो या झारखंड अलग राज्य के लिए संघर्ष, गांडेय प्रखंड झारखंड आंदोलनकारियों का गढ़ रहा. यहां के आंदोलनकारी गुरुजी की एक आवाज पर संघर्ष में कूद जाते थे. सबसे बड़ी बात है कि गिरिडीह में करीब 260 चिह्नित झारखंड आंदोलनकारी हैं, जिसमें 90 आंदोलनकारी गांडेय प्रखंड से हैं. 70 के दशक में महाजनी प्रथा व सूदखोरी के विरुद्ध दिशोम गुरु शिबू सोरेन ने आंदोलन का बिगुल फूंका था. कालांतर में 1972-73 से अलग झारखंड-वनांचल आंदोलन तेज हुआ और इसमें कई आंदोलनकारी शहीद हुए और कई ने जेल भी गये. सिर्फ जिले के गांडेय प्रखंड की बात करें तो ताराटांड में किशुन मरांडी, पर्वतपुर में माणिक मियां व गांडेय में बसंत पाठक शहीद हुए. आज भी उनकी बरसी पर झामुमो समारोह आयोजित कर शहीदों को सम्मान व श्रद्धांजलि अर्पित करता है. उक्त आंदोलन के बाद अलग झारखंड के लिए भी आंदोलन तेज हुआ, जिसमें गांडेय के हलधर राय, इंद्रदेव उर्फ कारू पाठक, बैजनाथ राणा, भागवत सिंह समेत कई लोग जेल गये. वर्तमान में कई आंदोलनकारी झामुमो की साख मजबूत कर रहे हैं.
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