प्रधानाचार्य अर्जुन प्रसाद आर्य ने कहा कि बच्चों की शिक्षा और संस्कार में दादा-दादी, नाना-नानी का महत्वपूर्ण योगदान होता है. ये परिवार के स्तंभ की तरह होते हैं. वे कथा-कहानियों के माध्यम से बच्चों में संस्कार का सृजन करते है. विद्या भारती ने परिवार में दादा-दादी व नाना-नानी के महत्व को बतलाने एवं उनका सम्मान बढ़ाने के उद्देश्य से बहुत ही सराहनीय कार्यक्रम शुरू किया है. हम सभी को संकल्प लेना चाहिए कि परिवार में अपने बुजुर्गों को सम्मान देंगे और उन्हें किसी भी प्रकार का कष्ट नहीं होने देंगे. दादा-दादी व नाना-नानी परिवार के उस वृक्ष की तरह होते हैं जो छोटों को स्नेह की शीतल छाया प्रदान करते हैं. एक उन्नत परिवार वह है जिसमें परिवार के बुजुर्ग अपने दायित्वों का निर्वहन करते हैं. बुजुर्ग तनाव न लें, स्वस्थ रहें और अपने परिवार को समृद्ध और सुसंस्कृत बनाएं. दादा-दादी व नाना – नानी परिवार रूपी मंदिर के देवता के समान हैं.
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