
मामला प्रश्न पत्र लीक का. प्रश्न पत्रों के वितरण, संधारण और भंडारण में कई बिंदुओं पर हो रही थी घोर लापरवाही
वैसे तो प्रश्न पत्रों के भंडारण, संधारण के साथ-साथ उसके वितरण में तो घोर लापरवाही अपनायी ही गयी, लेकिन ट्रक से अनलोड कर स्ट्रांग रूम तक पहुंचाने के क्रम में ढुलाई के दौरान यदि प्रश्न पत्रों की निगरानी ठीक से हो रही होती तो जैक के दसवीं का प्रश्न पत्र लीक होना आसान नहीं था. इस दौरान कई ऐसी परिस्थितियां बनी जो प्रश्न पत्र चोरी करने वाले मजदूरों के लिए सेफ रहा. जानकारी के अनुसार स्ट्रांग रूम तक प्रश्न पत्र पहुंचाने की जिम्मेदारी किसी एजेंसी को दी गयी थी. जबकि, स्ट्रांग रूम में उसके संधारण और परीक्षा केंद्रों के लिए वितरण की जिम्मेदारी स्ट्रांग रूम में प्रतिनियुक्त शिक्षकों की थी. जब सात फरवरी को प्रश्न पत्र प्रिंटर के पास से लोड होकर बड़े ट्रक में गिरिडीह पहुंचा, तो एजेंसी काफी देर तक प्रश्न पत्रों की ढुलाई के लिए मजदूरों से मोल भाव तय कर रहे थे. ट्रक तो प्रात: नौ बजे ही शहरी विकास केंद्र में बनाये गये स्ट्रांग रूम के मुख्य गेट पर पहुंच चुके थे, लेकिन एक बजे से ढुलाई शुरू की गयी, जो देर रात तक नौ बजे तक चलती रही.चोरों ने बिजली गुल होने का उठाया लाभ
एजेंसी ने प्रश्न पत्र को सड़क के किनारे खड़े ट्रक से उतारकर स्ट्रांग रूम तक पहुंचाने के लिए एक ई-रिक्शा को भी हायर किया था. इसी ई-रिक्शा से ढोकर प्रश्न पत्र स्ट्रांग रूम तक लाया गया और ई-रिक्शा से मजदूर उतारकर शहरी आजीविका केंद्र के भवन के दूसरे तल्ले पर पहुंचा रहे थे. सूत्रों की मानें तो इसी ढुलाई के क्रम में कमलेश नाम का मजदूर सीढ़ी के पास प्रश्न पत्र के पैकेट को ब्लेड से काट दिया और एक प्रश्न पत्र को उससे चोरी कर ली. सूत्रों का कहना है कि इस दौरान कई बार बिजली भी गुल हो रही थी, जिसका लाभ प्रश्न पत्र चोरी करने वाले मजदूरों को हुआ. बता दें कि बिजली गुल होने के बाद स्ट्रांग रूम में बिजली की वैकल्पिक व्यवस्था नहीं थी जिसके कारण प्रश्न पत्र संधारण करने में शिक्षकों को भी परेशानी हुई थी. सूत्रों का कहना है कि ढुलाई के दौरान भी प्रश्न पत्रों की निगरानी ठीक से नहीं की जा रही थी. ट्रक से अनलोड करने के वक्त एजेंसी के एक व्यक्ति तो थे, परंतु ई-रिक्शा से उतारकर दूसरी मंजिल तक प्रश्न पत्र ढुलाई के दौरान कोई निगरानी नहीं कर रहा था.
छह अलग-अलग कमरे में रखे गये थे प्रश्न पत्र
प्रश्न पत्र के भंडारण के लिए स्ट्रांग रूम के दूसरे तल्ले पर छह अलग-अलग कमरों का इस्तेमाल किया गया. इन कमरों में ही ट्रक से अनलोड कर प्रश्न पत्र रखे जा रहे थे. जिन शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति स्ट्रांग रूम में की गयी थी, वे सभी प्रश्न पत्र का संधारण कोडवार कमरे के अंदर कर रहे थे. शिक्षकों का कहना है कि उन्हें कोडवाईस प्रश्न पत्रों के संधारण और फिर विभिन्न प्रखंडों के लिए प्रश्न पत्र देने की जिम्मेदारी मिली थी. झारखंड प्राथमिक शिक्षक संघ के मैनेजर प्रसाद सिंह ने कहा कि शिक्षक बिल्कुल निर्दोष हैं. उनकी जिम्मेदारी प्रश्न पत्रों के संधारण और फिर प्रखंडों के परीक्षा केंद्रों के लिए दंडाधिकारी को प्रश्न पत्र देने की जिम्मेदारी थी जिसका शिक्षकों ने पालन किया है. उन्होंने कहा कि ट्रक से अनलोड कर स्ट्रांग रूम के कमरे तक प्रश्न पत्र की ढुलाई के कार्य की निगरानी करने की जिम्मेदारी शिक्षकों को नहीं थी, बल्कि यह एजेंसी को देखना था.स्ट्रांग रूम के लिए एक भी अधिकारी की नहीं हुई थी प्रतिनियुक्ति
गौरतलब बात तो यह है कि स्ट्रांग रूम में प्रश्न पत्रों के भंडारण, संधारण और उसके वितरण के लिए दस शिक्षकों के साथ-साथ एक लिपिक और सुरक्षा बलों की प्रतिनियुक्ति तो की गयी, लेकिन किसी भी पदाधिकारी की प्रतिनियुक्ति नहीं की गयी. प्रावधान के अनुसार स्ट्रांग रूम में सुरक्षा बलों की प्रतिनियुक्ति के बाद किसी पदाधिकारी को दंडाधिकारी के रूप में प्रतिनियुक्त किया जाना जरूरी था. लेकिन, कर्मियों के भरोसे स्ट्रांग रूम को छोड़ दिया गया. इतना ही नहीं, जहां स्ट्रांग रूम बनाये गये थे, वहां डबल लॉक की व्यवस्था होनी चाहिए थी. स्ट्रांग रूम को खोलने के दौरान एक चाभी का उपयोग मजिस्ट्रेट द्वारा किया जाना था, जबकि दूसरी चाभी का उपयोग स्ट्रांग रूम के प्रभारी करते और दोनों की उपस्थिति में ही डबल लॉक खोला जा सकता था. बताया जाता है कि डबल लॉक के प्रावधानों को भी गंभीरता से नहीं लिया गया. इस मामले में वरीय अधिकारियों का कहना है कि जैक द्वारा जारी किये गये एसओपी में स्ट्रांग रूम में दंडाधिकारी की तैनाती को लेकर कोई न ही प्रावधान था और न ही कोई निर्देश. सूत्रों का कहना है कि प्रश्न पत्रों की ढुलाई सात और आठ फरवरी दो दिनों तक हुई थी. इस ढुलाई का न ही रिकार्डिंग कराया गया और न ही पूरी प्रक्रिया पर नजर रखने के लिए सीसीटीवी कैमरे ही लगाये गये. यदि प्रश्न पत्रों के भंडारण के पूर्व स्ट्रांग रूम की पूरी सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा की गयी होती तो पेपर लीक नहीं हुआ होता. पूरे मामले में प्रशासनिक लापरवाही खुलकर सामने आ गयी है. साथ ही कई परीक्षा केंद्रों में प्रश्न पत्र के पैकेट के सील को खोलने के दौरान भी लापरवाही की बात सामने आयी है. जिस अग्रवाला प्लस टू हाई स्कूल परीक्षा केंद्र में लिकेज प्रश्न पत्र का पैकेट भेजा गया है, वहां के केंद्राधीक्षक घनश्याम गोस्वामी का कहना है कि सील टूटा हुआ कोई पैकेट नहीं दिखा. जिस पैकेट से प्रश्न पत्र की चोरी की गयी है, उसके प्रश्न पत्र बांटे भी नहीं गये हैं. उन्होंने कहा कि सभी अनुपयोगी प्रश्न पत्र के पैकेट को पुलिस ने सीज कर लिया है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है