रुमाल में तीर-धनुष के निशान तो वाहन का नंबर 1932 था. उनके पैतृक गांव अलारगो सहित आसपास के लोग उन्हें आज भी ‘नेतवा’ के नाम से याद करते हैं. कई आंदोलनों के कारण इन्हें हजारीबाग सेंट्रल जेल सहित तेनुघाट उपकारा में लंबे समय तक जेल में भी बंद रहना पड़ा. वह दौर भी आया जब इनपर सीसीए (रासुका) भी लगी. शुरुआती दौर में अलग झारखंड राज्य व विस्थापित-प्रभावित लोगों के हक-अधिकार के लिये आंदोलनरत रहे. झारखंड राज्य के गठन के बाद फिर 1932 के खतियान आधारित स्थानीयता की मांग को लेकर आंदोलन में कूद पड़े. बेरमो कोयलांचल में स्थानीय मजदूरों के शोषण व उनके हक-अधिकार के लंबी लड़ाई इन्होंने लड़ी. झामुमो में लगभग 17 साल का राजनीतिक सफर तय करने के बाद मंत्री बने. झामुमो में शामिल होने के बाद पहली बार में ही 2004 के विधानसभा चुनाव में विजयी हुए. इसके बाद 2009, 2014 और 2019 के विधानसभा चुनाव जीत हासिल की. 28 सितंबर 2020 को झारखंड सरकार में शिक्षा मंत्री रहने के दौरान कोरोना संक्रमित हुए और इलाज के क्रम में 6 अप्रैल 2023 को इनका निधन हो गया.
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