Jamua Vidhan sabha: खेती से कमाये रुपये खर्च कर बने थे विधायक, पैदल ही करते थे चुनाव प्रचार
कांग्रेस प्रत्याशी सदानंद प्रसाद ने जमुआ विधानसभा क्षेत्र में पहली बार वर्ष 1952 के चुनाव में जीत हासिल की थी. सदानंद प्रसाद जमुआ विधानसभा क्षेत्र से वर्ष 1952, 1967 व 1969 के चुनाव में कांग्रेस की टिकट पर जीत हासिल की थी
By Nitish kumar | October 26, 2024 12:54 PM
Jamua Vidhansabha|Jharkhand Assembly Election 2024| गिरिडीह| सूरज सिन्हा: जिले के जमुआ विधानसभा क्षेत्र में पहली बार वर्ष 1952 के चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी सदानंद प्रसाद ने जीत हासिल की थी. वह काफी मृदुभाषी व व्यवहारकुशल थे. उनकी गिनती कांग्रेस के कद्दावर नेता में होती था. दिवंगत सदानंद प्रसाद जमुआ विधानसभा क्षेत्र से वर्ष 1952, 1967 व 1969 के चुनाव में कांग्रेस की टिकट पर जीत हासिल की थी.
वर्ष 1969 में वह अखंड बिहार में श्रम मंत्री बनाये गये थे. अहम बात यह है कि खेती से अर्जित राशि को खर्च कर वह पहली बार विधायक बने थे. चूंकि, वह किसान परिवार से आते थे और धान की खूब खेती होती थी, इसलिए वह खेती से अर्जित होने वाली राशि को चुनाव कार्य में खर्च कर जीत हासिल की और बिहार विधानसभा तक पहुंचे. शुरुआती दौर में जमुआ विधानसभा क्षेत्र सामान्य सीट थी.
वर्ष 1952 के चुनाव में स्व. सदानंद प्रसाद ने 22 हजार 485 वोट प्राप्त कर जीत हासिल की थी. उन्होंने मैट्रिक तक की शिक्षा गिरिडीह हाइस्कूल से प्राप्त की थी. इसके बाद उन्होंने संत कोलंबा कॉलेज हजारीबाग में एडमिशन कराया, लेकिन बीच में ही उनकी पढ़ाई छूट गयी. उनके पुत्र शिवनंदन प्रसाद बताते हैं कि वर्ष 1918 में स्व. सदानंद प्रसाद महात्मा गांधी के आह्वान पर असहयोग आंदोलन में कूद गये थे. उसी वक्त उनकी पढ़ाई छूट गयी.
स्वतंत्रता संग्राम में वर्ष 1942 में उनकी गिरफ्तारी हुई थी. उन्हें सेंट्रल जेल हजारीबाग में रखा गया था. उस दौर में कई स्वतंत्रता सेनानी भी वहां पर बंद थे आजादी के बाद वर्ष 1952 में वह कांग्रेस की टिकट से पहली बार जमुआ विस क्षेत्र से चुनाव लड़े और जीत हासिल की. बताया कि उस वक्त चुनाव में काफी कम पैसा खर्च होता था. जीप से चुनाव प्रचार करते थे.
आज की तरह कार्यकर्ताओं का काफिला नहीं हुआ करता था. उस वक्त कार्यकर्ता सामान्य तरीके से पैदल या फिर साइकिल से चुनाव प्रचार करते थे. शिवनंदन प्रसाद बताते हैं कि उस दौर में उनके घर पर कांग्रेस के दिग्गज नेता केबी सहाय, बिंदेश्वरी दुबे व जगरनाथ मिश्र आते थे. सुरक्षा के नाम पर आज जैसा कोई तामझाम नहीं हुआ करता था. भ्रष्टाचार नहीं था. उनके पुस्तक प्रेमी और सभी विषयों के जानकार थे.
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