Giridih News :आस्था का प्रतीक है मठेश्वरीधाम

Giridih News :प्रखंड के गांव स्थित मठेश्वरीधाम शिव मंदिर क्षेत्र में आस्था का प्रतीक बन गया है. उक्त मंदिर में अहिल्यापुर, फुलझरिया, लाडूदाह, चितरपोकी सहित विभिन्न गांवों के ग्रामीण पहुंचते हैं. यहां प्रति सोमवार, सावन, शिवरात्रि व पूर्णिमा में भारी संख्या में भक्त मंदिर में पूजा पाठ करने पहुंचते हैं.

By PRADEEP KUMAR | August 3, 2025 11:18 PM
an image

प्रखंड के गांव स्थित मठेश्वरीधाम शिव मंदिर क्षेत्र में आस्था का प्रतीक बन गया है. उक्त मंदिर में अहिल्यापुर, फुलझरिया, लाडूदाह, चितरपोकी सहित विभिन्न गांवों के ग्रामीण पहुंचते हैं. यहां प्रति सोमवार, सावन, शिवरात्रि एवं पूर्णिमा में भारी संख्या में भक्त मंदिर में पूजा पाठ करने पहुंचते हैं. सावन की सोमवारी व शिवरात्रि में काफी भीड़ उमड़ती है. शिवरात्रि के अवसर पर अहिल्यापुर थाना परिसर स्थित शिवमंदिर से शिव बारात निकलती है और मठेश्वरीधाम मंदिर पहुंचती है, यहां शिव विवाह का आयोजन किया जाता है. बता दें कि मठेश्वरीधाम मंदिर का शिवलिंग स्वयंभू है. मंदिर से करीब 300 मीटर दूरी पर स्थित नदी आसपास बड़े- बड़े पेड़ मंदिर की शोभा बढ़ाते हैं. पूर्व में जब मठेश्वरी धाम मंदिर जंगलों से आच्छादित था, उस समय भी श्रद्धालु उक्त स्थान पर पूजा करने आते थे. शिवलिंग के प्रति ग्रामीणों की आस्था को देखकर लगभग 100 वर्ष पूर्व श्रीरामपुर के राजा वजीर नारायण सिंह ने मंदिर का निर्माण करवाया था. राजा ने मंदिर में प्रतिदिन पूजा- पाठ के लिए अहिल्यापुर गांव के झबी मिश्रा को पुरोहित के रुप में नियुक्त किया था. झबी मिश्रा के बाद उनके पुत्र महाराज मिश्रा, उनके पुत्र हरि मिश्रा कालांतर में उनके पुत्र गणपति मिश्रा और माधव मिश्रा ने पुरोहित का पद को संभाला है. बताया कि मंदिर निर्माण में सीमेंट का प्रयोग न कर उड़द का दाल, गुड़ और पत्थर से मंदिर का निर्माण किया गया था. वर्तमान में 40 वर्ष पूर्व अहिल्यापुर निवासी गणेश अग्रवाल के द्धारा शिव मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया, जबकि अहिल्यापुर गांव निवासी जयदेव पंडित ने पार्वती मंदिर का निर्माण करवाया. अहिल्यापुर क्षेत्र का सबसे पुराना मंदिर बता दें कि मठेश्वरीधाम मंदिर अहिल्यापुर क्षेत्र का सबसे पुराना मंदिर है. बुर्जुगों के अनुसार उक्त मंदिर में स्थानीय क्षेत्र के ग्रामीण अपने बच्चों का मुंडन करने आते थे. तब बलि दी जाती थी. धीरे -धीरे मंदिर में बलि प्रथा खत्म कर दी गयी. मंदिर परिसर में बीते वर्ष 1979 में रुद्ध महायज्ञ और 1990 में रामचरित मानस यज्ञ का आयोजन किया गया था. वर्तमान समय में गणपति मिश्रा के पुत्र नकुल मिश्रा, जयकुमार मिश्रा, देवकुमार मिश्रा सहित अन्य लोग मंदिर में पुरोहित के रुप में पूजा करा रहे हैं. मंदिर के पुरोहित नकुल मिश्रा ने कहा कि मंदिर में जो भी भक्त सच्ची मनोकामना से बाबा से मांगते हैं, वह पूरी होती है.

संबंधित खबर और खबरें

यहां गिरिडीह न्यूज़ (Giridih News) , गिरिडीह हिंदी समाचार (Giridih News in Hindi), ताज़ा गिरिडीह समाचार (Latest Giridih Samachar), गिरिडीह पॉलिटिक्स न्यूज़ (Giridih Politics News), गिरिडीह एजुकेशन न्यूज़ (Giridih Education News), गिरिडीह मौसम न्यूज़ (Giridih Weather News) और गिरिडीह क्षेत्र की हर छोटी और बड़ी खबर पढ़े सिर्फ प्रभात खबर पर .

होम E-Paper News Snaps News reels
Exit mobile version