
चहारदीवारी नहीं रहने से शाम ढलते लगता है जुआरियों व शराबियों का अड्डा
राजकीय बुनियादी विद्यालय जो बगोदर की शिक्षा का बुनियाद था, वह आज अस्तित्व बचाने का संकट झेल रहे हैं. वर्तमान में 140 छात्र-छात्रा अध्यनरत यहां नामांकित तो हैं, लेकिनउपस्थित ना के बराबर रहती है सरकार के योजनाओं का लाभ के लिए अभिभावक सरकारी विद्यालय मे नामांकरण करवा देते हैं, लेकिन पढ़ाते निजी स्कूल में हैं. इस विद्यालय में शिक्षकों का स्वीकृत पद 11 हैं. इसमें एकमात्र सरकारी शिक्षक मंगल महतो हैं. चार सहायक अध्यापक हैं. स्थिति यह है कि यहां ना तो बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल पाती है और ना ही अन्य सुविधाय. विद्यालय में चहारदीवारी नहीं है. इसका फायदा असामाजिक तत्व उठाते हैं. शाम होते ही यहां जुआरियों व नशेड़ियों का अड्डा जमता है. जुआरी शराब का सेवन कर बोतल फोड़ कर चले जाते हैं. इससे सुबह स्कूल आने वाले बच्चों को परेशानी होती है.प्यास लगी, तो स्कूल के बाहर का होटल सहारा
विद्यालय में पानी का अभाव है. चापाकल खराब पड़ा हुआ है. इसके कारण प्यास लगने पर बच्चे स्कूल के बाहर होटल में पानी पीने जाते हैं. विद्यालय में शौचालय है, लेकिन पानी के अभाव में इस पर ताला लटका रहता है.
क्या कहते हैं प्रधानाध्यापक
विद्यालय के प्रधानाध्यापक मंगल महतो ने कहा कि विद्यालय में कमरों की कमी नहीं है. चहारदीवारी नहीं रहने से परेशानी होती है. बच्चे बाहर निकल जाते हैं. ऐसे में दुर्घटना की आशंका बनी रहती है. कहा कि स्कूल की छुट्टी के बाद नशेड़ियों व जुआरियों का अड्डा लगता है. इसकी शिकायत शिक्षा विभाग के वरीय अधिकारियों से की गयी है, लेकिन अभी तक कोई पहल नहीं हुई है. सनद रहे कि राजकीय बुनियादी विद्यालय दो दशक पूर्व बगोदर वह आसपास के क्षेत्र के लोगों का शिक्षा का मंदिर था, आज यह पूरी तरह उपेक्षित है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है