अल्ट्रासाउंड जांच के लिए लोगों को बाहर के निजी संस्थानों का सहारा लेना पड़ता है, जहां उन्हें औसतन 1500 रुपये तक खर्च करने पड़ते थे. आर्थिक रूप से कमजोर तबके के मरीज परेशान रहते थे. अस्पताल प्रबंधन ने उनकी परेशानी को देखते हुए अल्ट्रासाउंड सेवा को दोबारा शुरू करने का फैसला किया है.
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