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दुमका जिला के 18 मजदूर नागपुर से साइकिल के सहारे गुमला पहुंचे. इस दौरान उन मजदूरों ने 1,173 किमी की दूरी तय की. लॉकडाउन के कारण नागपुर में काफी परेशान थे. कहीं से मदद नहीं मिली. थक-हार कर साइकिल से ही अपने घर जाने का फैसला किया. गुमला पहुंचे इन 18 मजदूरों ने जो पीड़ा सुनायी, वो लॉकडाउन की सच्ची तस्वीर पेश करती है. मजदूरों के अनुसार, उन्हें किसी गांव में रुकने नहीं दिया जाता था. गांव के लोग चापाकल व कुओं से पानी भरने नहीं देते थे. सुनसान जगह पर स्थित कुआं व चापाकल से ही अपने प्यास बुझाते थे. रास्ते के लिए बोतल में पानी लेकर चलते थे. सोने के लिए गांव में जगह नहीं मिलती थी. सुनसान जंगल व सड़क के किनारे सोते थे.
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मजदूर मिथिलेश कुमार ने बताया कि 24 घंटे में सात घंटे (रात आठ से सुबह तीन बजे तक) सोते थे. इसके बाद सुबह तीन बजे से रात आठ बजे तक साइकिल से सफर करते थे. मजदूर साइकिल चलाकर नागपुर से दुमका जा रहे हैं. इसकी जानकारी फादर सोलोमन को हुई. उन्होंने गुमला एराउज, विधायक भूषण तिर्की व रांची में आलोका कुजूर को सूचना दिये. आलोका कुजूर द्वारा प्रभात खबर गुमला को इसकी जानकारी दी गयी. इसके बाद सभी मजदूरों को शहर से चार किमी दूर हवाई अड्डा के समीप रोका गया. उनकी समस्या जाना. भूखे मजदूरों को एराउज ने खाना खिलाया. डॉन बोस्को स्कूल बम्हनी में आश्रय दिया गया. सीओ केनेथ कुशलमय मुंडू ने कहा कि सभी मजदूरों की स्वास्थ्य जांच हो गयी है. आठ मई को सभी को बस से दुमका रवाना किया जायेगा.