गुमला. जिला उद्यान्न विभाग गुमला की तरफ से जिले में पर्यावरण संरक्षण और टिकाऊ कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से कृषि सखियों (महिलाओं) का पांच दिवसीय विशेष प्रशिक्षण का शुभारंभ मंगलवार को हुआ. प्रशिक्षण में जिला अंतर्गत चार प्रखंडों के छह क्लस्टरों की महिला कृषकों ने भाग लिया है. प्रशिक्षण में कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) गुमला द्वारा सभी महिलाओं कृषकों को तकनीकी सहायता प्रदान की जायेगी. मौके पर मुख्य अतिथि महेंद्र भगत ने पर्यावरण के लिए प्राकृतिक खेती की आवश्यकता पर विचार व्यक्त किया. श्री भगत ने कहा कि आधुनिक कृषि पद्धतियों ने भले फसलों के उत्पादन में वृद्धि की है. लेकिन इस पद्धति ने मिट्टी के स्वास्थ्य, जल संसाधनों व समग्र पारिस्थितिकी तंत्र पर नकारात्मक प्रभाव डाला है. रासायनिक उर्वरकों व कीटनाशकों के अंधाधुंध उपयोग से न केवल मिट्टी की उर्वरता कम हुई है, बल्कि यह मानव स्वास्थ्य के लिए खतरा बन गया है. श्री भगत ने प्राकृतिक खेती पर जोर देते हुए कहा कि प्राकृतिक खेती केवल एक कृषि पद्धति नहीं है, बल्कि यह प्रकृति के साथ सामंजस्य स्थापित करने का एक दर्शन है. यह हमें सिखाती है कि हम कैसे रासायनिक इनपुट पर निर्भरता कम कर जैविक खाद, फसल चक्र व जैविक कीट नियंत्रण जैसी तकनीकों का उपयोग कर सकते हैं. प्राकृतिक खेती से न केवल स्वस्थ व पौष्टिक भोजन का उत्पादन होगा, बल्कि यह मिट्टी की संरचना में सुधार करेगा. जल संरक्षण में भी मदद करेगा और जैव विविधता को बढ़ावा देगा. यह किसानों की लागत को कम करने में सहायक होगी. श्री भगत ने महिला प्रतिभागियों से कहा कि आप सभी ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने में आपकी भूमिका महत्वपूर्ण होगी. आप कृषि सखी के रूप में अपने-अपने गांवों में ज्ञान व कौशल का प्रसार करेंगी, जिससे अन्य महिलाएं भी प्राकृतिक खेती अपनाने के लिए प्रेरित होंगी.
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