नक्सल विरोधी अभियान में चलते-चलते गई जान
इस संबंध में सीआरपीएफ के असिस्टेंट कमांडेंट बबलू कुमार राम ने यूडी केस दर्ज कराया है. उन्होंने कहा है कि 28 अगस्त को प्लान नंबर 422 में निर्धारित डयूटी के अनुसार मैं व मेरे सात साथी जोरी कैंप से बिशुनपुर थाना के रेहलदाग व आसपास के क्षेत्रों में नक्सल विरोधी अभियान के लिए पैदल प्रस्थान किये. सभी जंगल-पहाड़ होते हुए पैदल चल रहे थे. करीब शाम छह बजे धीरा सिंह रावत चलते- चलते बेहोश हो गये. साथ ही चल रहे प्राथमिक उपचार कर्मी राजकुमार प्रधान द्वारा उनका प्राथमिक उपचार किया गया. लेकिन, उन्हें होश नहीं आया, तो साथ में गये जवानों के सहयोग से चिकित्सा के लिए धीरा सिंह को सीएचसी, बिशुनपुर में भर्ती कराया गया. जहां चिकित्सकों द्वारा जांच के बाद धीरा सिंह रावत को मृत घोषित कर दिया.
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दिल का दौरा पड़ने से हुई मौत
उन्होंने आशंका प्रकट किया है कि डयूटी के दौरान धीरा सिंह रावत को दिल का दौरा पड़ने से उनकी मौत हो गयी. इसमें किसी का कोई दोष नहीं है. इस मौके पर सीआरपीएफ चिकित्सक डॉ रंजीत, अभियान एसपी मनीष कुमार, एसआइ दिलीप टुडू, विवेक चौधरी, सीआरपीएफ चिकित्सक गुमला डॉ राजन, सार्जेंट मेजर प्रणव कुमार, बिशुनपुर थानेदार दीपक सिंह सहित सीआरपीएफ के जवान मौजूद थे.
एसआई को जवानों ने दी सलामी
मृत एसआई धीरा सिंह रावत के शव का पोस्टमार्टम होने के बाद शव को पोस्टमार्टम कक्ष में टेंट बनाकर रखा गया था. जहां राष्ट्रीय ध्वज को शव के ऊपर रखा गया. इसके बाद कमांडेंट राहुल कुमार के नेतृत्व में शहीद जवान को सलामी दी गयी. वहीं, उपस्थित पदाधिकारियों ने पुष्प चढ़ाकर मृत जवान को सलामी दी.
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सीआरपीएफ का हिस्सा थे एसआई : कमांडेट
कमांडेंट राहुल कुमार ने कहा कि हमारे परिवार का एक सदस्य को हमने खो दिया है जो हमारे लिए काफी दुखदायी है. उसका दर्द क्या होता है. वह पूरा बटालियन महसूस कर रहा है. उनकी क्षति की भरपाई करना काफी मुश्किल है. वे एक कर्मठ, मृदुभाषी, कर्तव्यशील व्यक्ति थे. वे काफी मिलनसार थे. जवानों का हमेशा हौसला अफजाई करते थे. अचानक उनके निधन से सीआरपीएफ 158 बटालियन में शोक की लहर है. मैं भगवान से प्रार्थना करूंगा कि उनके निधन के दर्द को उनके परिवार को सहने की शक्ति प्रदान करें. उन्होंने कहा कि अभी शव को वाहन के माध्यम से रांची भेजा जा रहा है. वहां से फ्लाइट के माध्यम से उनके गांव तक गंतव्य स्थान तक भेजा जायेगा.