Jharkhand Assembly Election: इस विधानसभा सीट पर 34 साल से कोई विधायक लगातार दूसरा टर्म नहीं जीत पाया है चुनाव
गुमला विधानसभा सीट पर अक्सर कांटे की टक्कर होती रही है. उम्मीदवार मामूली वोटों के अंतर से चुनाव जीत कर विधायक बनते रहे हैं. आंकड़ों पर गौर करें, तो 1990 के बाद से कोई भी विधायक लगातार दूसरे टर्म चुनाव नहीं जीत सका है.
By Nitish kumar | November 2, 2024 3:33 PM
Jharkhand Assembly Election, गुमला, दुर्जय पासवान: गुमला विधानसभा अनुसूची जनजाति सीट है. 1951 में गुमला विस बना था, तब से अब तक इस क्षेत्र की जनता ने 16 विधायक चुने. गुमला के पहले विधायक सुकरू उरांव थे. इस सीट पर उरांव जाति के विधायकों का सबसे अधिक कब्जा रहा. गुमला विधानसभा सीट पर अक्सर कांटे की टक्कर होती रही है. उम्मीदवार मामूली वोटों के अंतर से चुनाव जीत कर विधायक बनते रहे हैं. सबसे मजेदार चुनाव वर्ष 1990 के बाद से शुरू हुआ है. चुनावी आंकड़ों पर गौर करें, तो 1990 के बाद से कोई भी विधायक लगातार दूसरे टर्म चुनाव नहीं जीत सका है. हालांकि 1990 से पहले जितने भी चुनाव हुए है. उसमें सुकरू उरांव, रोपना उरांव व बैरागी उरांव ही तीन मात्र ऐसे विधायक रहे हैं, जो लगातार दो बार चुनाव जीतने का रिकॉर्ड बनाये हैं.
2000 में सुदर्शन भगत विधायक बने
1990 के बाद से गुमला सीट से कभी कांग्रेस का विधायक नहीं बन पाया, जबकि झामुमो के तीन व भाजपा के चार विधायक बने हैं. वहीं झारखंड बनने के बाद पहले विधायक बनने का रिकॉर्ड भाजपा के सुदर्शन भगत के नाम है. 2000 में सुदर्शन भगत विधायक बने थे, फिर 2005 के चुनाव में झामुमो के भूषण तिर्की ने सुदर्शन भगत को हरा कर विधायक बने. लेकिन 2009 के चुनाव में भूषण तिर्की दोबारा विधायक नहीं बन पाये. भाजपा के कमलेश उरांव ने भूषण तिर्की को हराया था. इसके बाद 2014 के चुनाव में भाजपा ने सीटिंग विधायक कमलेश उरांव का टिकट काट कर शिव शंकर उरांव को टिकट दिया.
निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं मिशिर कुजूर
शिव शंकर उरांव ने 2014 के चुनाव में भूषण तिर्की को हराया था. इसके बाद 2019 के चुनाव में पुन: भूषण तिर्की को झामुमो ने टिकट दिया. भूषण तिर्की ने भाजपा के मिशिर कुजूर को करीब साढ़े नौ हजार वोट से हराया था. अब 2024 के चुनाव में भूषण तिर्की लगातार दूसरी बार चुनाव जीतने का रिकॉर्ड बना पाते हैं या नहीं अब देखना है. क्योंकि, इस बार भाजपा ने सांसद का टिकट काटने के बाद सुदर्शन भगत को मैदान में उतारा है. वहीं टिकट नहीं मिलने से नाराज मिशिर कुजूर ने भाजपा से बगावत कर निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं. भूषण तिर्की के लगातार दूसरी जीत दर्ज करने के बीच सुदर्शन भगत व मिशिर कुजूर खड़े हैं. अब देखना है कि कौन बाजी मारता है.