7 साल की उम्र में बेची गयी थी पीड़िता
अपनी आपबीती सुनाते हुए पीड़िता ने कहा कि जब वो 7 साल साल की थी. तभी अज्ञात लोगों ने उसे घर से अगवा कर लिया था और दिल्ली में एक प्लेसमेंट एजेंसी को बेच दिया था. कम उम्र थी. उसे एक घर में बच्चों की देखभाल के लिए रखा गया. फिर जैसे- जैसे उम्र बढ़ती गयी. उससे घरेलू काम कराया गया. वह 5 साल तक एक घर में काम की. पुलिस ने 14 साल की उम्र में एक घर से उसे मुक्त कराया था. लेकिन, घर का पता नहीं मिलने के कारण दिल्ली पुलिस ने उसे CWC, गुमला को सौंप दिया था. 4 साल तक CWC के संरक्षण में गुमला के बालगृह में रही. गुरुवार (8 अप्रैल, 2021) को 18 साल की उम्र में पीड़िता अपने परिवार से मिली.
बेटी से मिलने की उम्मीद खत्म हो गयी थी
पीड़िता के पिता, बड़ी बहन, रिश्तेदार सहित अन्य लोग गुरुवार को CWC, गुमला ऑफिस पहुंचे. कागजी कार्रवाई पूरी करने के बाद देर शाम को परिजन उसे अपने साथ जमुई ले गये. पीड़िता के पिता ने कहा कि 7 साल की उम्र में उसकी बेटी को कोई उठाकर ले गया था. तब से वह बेटी को खोज रहे थे. धीरे-धीरे बेटी के मिलने की उम्मीद खत्म हो गयी थी. लेकिन, 5 माह पहले अचानक उसके पास कुछ अधिकारी आये और मेरी बेटी का फोटो दिखाये. जिसके बाद मैंने बेटी की पहचान की. कागजी कार्रवाई के बाद आज गुमला बेटी को लेने पहुंचे.
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काफी प्रयास के बाद पीड़िता को मिला अपना परिवार : CWC, गुमला
CWC, गुमला की सदस्य सुषमा देवी व संजय भगत ने बताया कि दिल्ली पुलिस ने जब पीड़िता को गुमला में लाकर सौंपा, तो उसके घर की तलाश शुरू की गयी. काफी प्रयास के बाद 6 माह पहले उसका घर जमुई में मिला. इसके बाद CWC, जमुई से संपर्क किया गया. पीड़िता का फोटो भेजकर परिवार के लोगों को दिखाया गया. पहचान होने व परिवार मिलने के बाद गुरुवार को परिजन गुमला पहुंचे और पीड़िता को अपने साथ ले गये. सुषमा देवी ने कहा कि पीड़िता के घर मिलने में देरी होने के कारण उसका नामांकन गुमला के कस्तूरबा स्कूल में भी करा दिया गया था. जहां उसकी पढ़ाई हो रही थी. अब वह अपने गांव में रहकर पढ़ेगी.
Posted By : Samir Ranjan.