: पालकोट प्रखंड में देवगांव गुफा है. जहां कई देवी देवताओं का वास है. 3 गुम 33 में इसी पहाड़ के गुफा में देवी देवताओं की मंदिर है 3 गुम 34 में प्राचीन शिवलिंग 3 गुम 35 में रामायण युग में बना छोटे छोटे मंदिर जॉली विश्वकर्मा/महीपाल, गुमला गुमला जिले के पालकोट प्रखंड में स्थित देवगांव गुफा एक पौराणिक और धार्मिक स्थल है, जिसे श्रीश्री 1008 बूढ़ा महादेव मंडाधाम के नाम से भी जाना जाता है. यह गुफा विशाल पहाड़ों के बीच स्थित है और यहां कई देवी-देवताओं के प्राचीन मंदिर हैं. स्थानीय मान्यता के अनुसार, इस गुफा का निर्माण रामायण युग में स्वयं भगवान विश्वकर्मा ने किया था. उन्होंने अपनी दिव्य कला से इस गुफा को सजाया और यहां विभिन्न देवी-देवताओं की स्थापना की. गुफा के भीतर भगवान शिव, पार्वती, गणेश, नंदी, नाग देवता, सूर्य देव, बजरंगबली, मां भगवती, गौ गंगा माता सहित कई देवी-देवताओं की मूर्तियाँ हैं. यहां एक प्राचीन शिवलिंग भी है, जिसे श्रद्धालु सावन माह में जल चढ़ाने आते हैं. इस स्थल को शिवधाम के रूप में जाना जाता है और स्थानीय लोग इसे देवों के देव भगवान शिव का गांव कहते हैं. देवगांव का ऐतिहासिक महत्व भी है. कहा जाता है कि जब रावण ने माता सीता का हरण किया था, तब श्रीराम और लक्ष्मण वनवास के दौरान सीता की खोज में इस क्षेत्र में आये थे. उनके पदचिन्ह पालकोट और देवगांव में पाये गये हैं. यहीं से वे रामरेखा धाम की ओर गये थे, जिससे देवगांव का संबंध रामायण काल से जुड़ता है. देवगांव तक पहुंचने के लिए गुमला, रांची, खूंटी या सिमडेगा से पालकोट जाना होता है. वहां से पोजेंगा होते हुए लगभग 7 किमी की दूरी पर यह गुफा स्थित है. रास्ता हरे-भरे जंगलों से होकर जाता है, जो यात्रा को रोमांचक बनाता है. यहां कई रहस्य भी छिपे हैं. पहाड़ के ऊपर पैर मारने पर धम-धम की आवाज आती है. शेर और देवी-देवताओं के पदचिन्ह भी पहाड़ पर मौजूद हैं. एक रहस्यमयी तालाब भी यहां है, जिसकी गहराई और विशेषता आज तक अज्ञात है.
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