नक्सलियों के गढ़ में फैली आम की सुगंध, आम्रपाली के दाम घटे, मालदा के बढ़े

गुमला जिले में करीब तीन करोड़ रुपये का होता है आम का व्यवसाय

By Prabhat Khabar News Desk | July 21, 2025 9:48 PM
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गुमला. कभी नहीं सोचा था कि ऐसा बदलाव आयेगा, परंतु समय बदला, तो नक्सल के बादल छंटे और नक्सल प्रभावित इलाके को आम की खेती ने एक अलग पहचान दी. जी हां गुमला जिला आम की खेती का हब बनते जा रहा है. खासकर जिले के रायडीह व घाघरा प्रखंड जहां बड़े पैमाने पर आम्रपाली, मल्लिका, मालदा व दशहरी आम की खेती की जा रही है. इन दोनों प्रखंड के 100 गांवों में आम के पेड़ दिखेंगे. मालदा व आम्रपाली आम के पेड़ यहां की तस्वीर बदल रही हैं. आम की मिठास ने लोगों के जीवन में भी मिठास भर दी है. 600 से अधिक किसानों ने आम की बागवानी की हैं. किसानों की माने, तो करीब तीन करोड़ रुपये का आम का व्यवसाय होता है. इसमें सिर्फ रायडीह प्रखंड के परसा पंचायत में 200 से अधिक किसान हैं. आम के बाग से प्रत्येक किसान को हर साल 50 हजार रुपये से एक लाख रुपये की आमदनी हो रही है. परंतु इस वर्ष बारिश के कारण आम की बिक्री पर असर पड़ा है. लेकिन शुरुआती क्षणों में जो आम तैयार हुए, उसकी डिमांड अधिक रही. बारिश के बाद आम के रंग बदल गये, तो कीमत कम हो गयी और डिमांड भी कम हो गयी.

ऐसे बदली गांव की तस्वीर

परसा पंचायत घोर नक्सल इलाका माना जाता है. भाकपा माओवादी हथियार टांगे इस क्षेत्र में आते-जाते रहते हैं. वर्ष 2000 से 2010 तक इस क्षेत्र में नक्सल गतिविधि उफान पर रहा. परंतु धीरे-धीरे नक्सल गतिविधियां कम हुईं. सरकार की बागवानी योजनाओं से किसान जुड़े. वर्ष 2010 से किसानों ने आम्रपाली, मालदा व मल्लिका आम के पौधे लगाये. अब ये पौधे पेड़ बन गये, जिससे किसानों की तकदीर व तस्वीर दोनों बदलने लगी है.

छत्तीसगढ़ व ओड़िशा तक पहुंच रहा आम

गुमला का आम छत्तीसगढ़, ओड़िशा, बंगाल व रांची की मंडी तक पहुंच रहा है. कई खरीदार गांव तक पहुंच थोक के भाव आम खरीद ले जाते हैं. कुछ किसान लोकल बाजार में अभी आम्रपाली 20 से 40 रुपये किलो आम बेच रहे हैं. मालदा आम 100 से 120 रुपये किलो बिक रहा है. महिला किसान जशमनी तिर्की ने कहा कि पेड़ से आम तोड़ कर घर पर पकाते हैं. इसके बाद लोकल बाजार में बेच रहे हैं.

किसानों ने कहा, बारिश से आम की बिक्री पर पड़ा है असर

बारिश से इस बार आम के जो दाम मिलने चाहिए, वह नहीं मिला. कई किसान तो बारिश के कारण पेड़ से आम भी नहीं तोड़ पाये. टोगों चैनपुर निवासी जगजीत टोप्पो ने कहा कि वह दो एकड़ जमीन में आम का पेड़ लगाये हैं. इस वर्ष आम की अच्छी पैदावार हुआ है, पर दाम सही नहीं मिल रहा है. उन्होंने बताया कि आम की शुरुआती सीजन में 60 से 80 रुपये किलो आम बेचा. परंतु अभी डिमांड कम होने के कारण आम्रपाली आम मात्र 20 रुपये किलो बेचना पड़ रहा है. इसके बाद भी उसे खरीदार नहीं मिल रहा है. हालांकि मालदा आम अभी 100 से 120 रुपये किलो बिक रहा है. उन्होंने बताया कि गांव के कई ऐसे किसान हैं, जो इस बार आम को अपने पेड़ से नहीं तोड़े हैं. जमगई निवासी मंगरी देवी ने कहा कि उसका 54 आम के पेड़ हैं और हर साल वह आम बिक्री करने शहर आती है. लेकिन इस बार बाजार ठीक नहीं है. आम कम बिक्री होने के कारण सड़ रहा है. जमगई निवासी भिनसरिया देवी ने कहा कि उसके 55 आम के पेड़ हैं. इस वर्ष आम बेचने में आमदनी नहीं हो रही है. पूरी मेहनत बर्बाद हो गयी है. जमगई निवासी शनिचर खड़िया ने कहा कि उसके 50 आम के पेड़ हैं. फसल अच्छी होने के बाद भी आम नहीं बिक रहा है. यहां हर साल दर्जनों आम बेचने वाले इस स्थान पर आम का मंडी लगाते थे. पर सही दाम नहीं मिलने के कारण कुछ ही किसान शहर आकर आम बेच रहे हैं.

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