गुमला. मूली पड़हा गुमला के तत्वावधान में रविवार को टैसेरा स्कूल बगीचा में आदिवासी समाज का कार्यक्रम हुआ. कार्यक्रम पेसा कानून हमारी रूढ़ीवादी परंपरा हमारी विरासत पड़हा डोकलो स्वास्थ्य शासन व्यवस्था को लेकर आयोजित था. मुख्य अतिथि निशा उरांव समेत अन्य अतिथियों ने कार्यक्रम का उदघाटन किया. मूली पड़हा के दीवान चुइयां कुजूर ने कहा कि पड़हा 12 जाति 36 कौम को संचालित करती है. गांव कस्बा को संचालित करती है. निशा उरांव ने बताया कि हमारी परंपरा हम आदिवासियों को एक साथ जोड़े रखती है. हमलोगों की अपनी पूजा, पद्धति, गीत, नृत्य हैं. रूढ़ीवादी परंपरा नेग-नेगचार को लिखित रूप में लाकर सुरक्षित करने की जरूरत है. आज जरूरत है हमें पारंपरिक उलगुलान करने की. पेसा कानून को भारत सरकार ने बना कर राज्य को लागू करने का निर्देश दिया है. लेकिन झारखंड के बिचौलिये लोग, नकली आदिवासी लोग पेसा कानून पर कानूनी अड़चन लगा कर पेसा कानून को लागू नहीं होने नहीं दे रहे हैं. मूली पड़हा के कोटवार देवेंद्र लाल उरांव ने कहा कि पेसा से ही आदिवासियों की जल, जंगल, जमीन, भाषा, सभ्यता का संरक्षण होगा. जलेश्वर भगत ने भारतीय संविधान में आदिवासियों के हक अधिकार की जानकारी दिये. डोकलो शोहर से कलावती खड़िया ने कहा कि पेसा कानून को लागू करने के लिए अब उलगुलान करना होगा. मौके पर बेल देवराम भगत, कलावती खड़िया, महेंद्र उरांव, राजबेल उरांव, राजू उरांव, विनोद मिंज, खुदी भगत, फौदा उरांव, जयराम उरांव, शशिकांत बेक, सोमेश्वर टाना भगत, दिनेश लकड़ा, अमला उरांव, हंदु भगत, जितेश्वर उरांव, सुदर्शन भगत, शिरोमणि बिलुंग, जांजी खड़िया, नूतन उरांव आदि मौजूद थे. इससे पूर्व अन्ना आदि प्रार्थना से कार्यक्रम की शुरुआत की गयी है. मूली पड़हा के बेल देवराम भगत ने स्वागत भाषण कर अतिथियों का स्वागत किया. बैगा, पहान, पुजार, ग्राम प्रधान, बेल, दीवान, कोटवार सभी का पुष्पगुच्छ एवं अंग वस्त्र देकर सम्मानित किया गया. संयोजक महेंद्र उरांव ने कार्यक्रम का संचालन किया.
संबंधित खबर
और खबरें