ओड़िशा के पुरी से भगवान जगन्नाथ, बलराम और सुभद्रा की आयी थी मूर्ति
बता दें कि जमींदार बड़ाइक देवनंदन सिंह (स्वर्गीय) ने करौंदी बगीचा में रथयात्रा मेला की शुरूआत किये थे. देवनंदन सिंह ने पूरी से भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र एवं बहन सुभद्रा की विग्रह की गयी मूर्ति को गुमला लाये थे. गुमला में भगवान जगन्नाथ का भव्य स्वागत हुआ था. शुरू में देवनंदन के आवासीय परिसर में एक खपड़ा के घर में मूर्तियों को स्थापित किया गया था. जहां मेला लगता था. छत्तीसगढ़ राज्य के जशपुर एवं ओड़िशा राज्य से भक्त आते थे. सुरखी चूना एवं पतला ईंट से मंदिर का निर्माण किया गया और वहां भगवान को स्थापित किया गया. जहां अब रथयात्रा मेला लगता है और मंदिर में पूजा होती है.
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करौंदी में रथयात्रा एक जुलाई को, सुबह पांच बजे से शुरू होगी पूजा अर्चना
गुमला में तीन साल बाद इस वर्ष रथयात्रा मेला लगेगा. इसकी तैयारी पूरी हो गयी है. कोरोना संक्रमण के कारण पिछले दो साल से रथयात्रा मेला का आयोजन नहीं हुआ था. इस साल एक जुलाई को गुमला के करौंदी में रथयात्रा है. रथयात्रा को लेकर जगन्नाथ महाप्रभु सेवा समिति, करौंदी रथमेला की तैयारी एवं मेला को सफल बनाने के लिए कमेटी का गठन किया गया है. रथयात्रा सह मेला को सफल बनाने के लिए जगन्नाथ महाप्रभु सेवा समिति, करौंदी की बैठक हुई थी. इस संबंध में मुख्य संरक्षक सह सेवइत बड़ाइक कृष्णदेव सिंह ने बताया कि एक जुलाई की सुबह पांच बजे से पूजा अर्चना शुरू होगी. वहीं, संध्या पांच बजे भगवान जगन्नाथ महाप्रभु रथ में सवार होकर मौसीबाड़ी के लिए रवाना होंगे. उन्होंने सभी पदाधिकारियों एवं सदस्यों से ससमय मंदिर परिसर पहुंचकर पूजा पाठ एवं श्रद्धालुओं की सुविधा की अपील की है.
रिपोर्ट : जॉली/अंकित, गुमला.