कामडारा. सरकार भले आवास योजनाओं के जरिये गरीबों को पक्का मकान देने का दावा कर रही हो, लेकिन जमीनी हकीकत इससे कोसों दूर है. कामडारा गांव की सोमारी देवी आज भी प्लास्टिक की छत के नीचे रहने को मजबूर हैं. सोमारी देवी ने कई बार प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ पाने के लिए आवेदन दिया, लेकिन हर बार निराशा हाथ लगी. बारिश में प्लास्टिक की छत उनकी मुफलिसी की कहानी खुद कहती है. सोमारी देवी के पति एतवा राम का निधन वर्ष 2005 में हो गया था, तब से ही घर की आर्थिक स्थिति चरमरायी है. बच्चों की पढ़ाई-लिखाई और घर के खर्चों के बीच घर बनवाना संभव नहीं हो सका. उन्हें विधवा पेंशन योजना के तहत सहायता तो मिलती थी, लेकिन वह भी पिछले कई महीनों से बंद है. सरकार की ओर से जरूरतमंदों को चिह्नित कर आवास देने की बात कही जाती है, लेकिन हकीकत यह है कि सोमारी जैसी महिलाएं आज भी दफ्तरों का चक्कर काट रही हैं. यह स्थिति या तो सरकारी व्यवस्था की विडंबना है या फिर संबंधित कर्मियों की लापरवाही.
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