Jharkhand Assembly Election: आजादी के 75 साल बाद भी नहीं टूटा मां और बेटी के नाम दर्ज यह अनोखा रिकॉर्ड, जानिए क्या है
सुमति उरांव पहली महिला सांसद थीं और उनकी बेटी गीताश्री उरांव विधायक हैं. मां-बेटी ने सांसद व विधायक बनने का जो रिकॉर्ड बनाया है, उसे आज तक कोई नहीं तोड़ पाया. सुमति उरांव कांग्रेस के टिकट पर तीन बार (1982, 1984 व 1989) लोहरदगा संसदीय सीट से सांसद बनीं.
By Nitish kumar | October 28, 2024 10:15 AM
Sumati Oraon|Geetashri Oraon|Jharkhand Assembly Election| गुमला: जिले की पहली महिला सांसद सुमति उरांव थीं और विधायक उनकी बेटी गीताश्री उरांव हैं. मां-बेटी ने सांसद व विधायक बनने का जो रिकॉर्ड बनाया है, उसे आज तक कोई नहीं तोड़ पाया. सुमति उरांव कांग्रेस के टिकट पर तीन बार (1982, 1984 व 1989) लोहरदगा संसदीय सीट से सांसद बनीं. इधर, मां व पिता की विरासत को आगे बढ़ाते हुए गीताश्री उरांव राजनीति में आयीं. उन्होंने वर्ष 2009 के चुनाव में सिसई विधानसभा सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की. गीताश्री उरांव के बाद कोई दूसरी महिला अब तक यहां से विधायक नहीं बन पायी है. सिसई व गुमला विधानसभा सीट से किसी बड़ी पार्टी ने महिला उम्मीदवार को चुनाव में भी नहीं उतारा.
सुमति उरांव उस समय चुनाव में आयीं, जब कांग्रेस पार्टी को उनकी जरूरत थी. क्योंकि, आठ दिसंबर 1981 को हृदय गति रुकने से छोटानागपुर का काला हीरा के नाम से प्रसिद्ध कार्तिक उरांव का निधन हो गया था. कार्तिक उरांव अपने जमाने में कांग्रेस का चेहरा हुआ करते थे. उनके निधन के बाद कांग्रेस ने उनकी पत्नी सुमति उरांव को 1982 के चुनाव में उतारा. सुमति उरांव चुनाव जीत गयी. इसके बाद 1984 और 1989 में भी सुमति लोहरदगा सीट से सांसद चुनी गयी थीं. सुमति उरांव के बाद कोई दूसरी महिला लोहरदगा से सांसद नहीं बनीं. न ही किसी राष्ट्रीय पार्टी ने महिला को उम्मीदवार बनाया.