जामताड़ा. एक समय था जब गर्भवती महिला को नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र और सदर अस्पताल लाने के लिए ममता वाहनों की लंबी लाइन लगी रहती थी. लेकिन अब लोगों का ममता वाहन से भरोसा उठ गया है. चालकों ने भी लोगों की रुचि नहीं देखते हुए अपने वाहन को चलाना बंद कर दिया है. यही कारण है कि अब जिले में ममता वाहन का क्रेज घट रहा है. गौरतलब है कि सरकार ने मातृ-शिशु की मृत्यु दर को रोकने के लिए ममता वाहन की शुरुआत की थी. इसका लाभ गांव की उन महिलाओं को दिया जाना था, जो प्रसव के दौरान वाहन की व्यवस्था नहीं होने के कारण अस्पताल तक नहीं पहुंच पाती थीं. शुरुआत में बड़ी संख्या में वाहन चालकों ने प्रखंड के चिकित्सा पदाधिकारी के साथ एमओयू किया. बड़ी संख्या में लोगों ने इस योजना का लाभ उठाया. लेकिन सरकार की उदासीनता की वजह से चालकों ने केंद्र से दूरी बना ली. वर्तमान में 76 वाहनों का स्वास्थ्य विभाग के साथ एमओयू हुआ है. लेकिन मरीज लाने के प्रति चालकों में रुचि नहीं है. अब 108 पर ज्यादा भरोसा : ममता वाहन की जगह अब 108 एंबुलेंस ने करीब-करीब ले ली है. ममता वाहन के काॅल सेंटर में बात नहीं होने पर लोग यहां फोन करने की बजाय सीधे 108 पर काॅल करते हैं. 108 की सक्रियता की वजह से भी वाहनों की संख्या में कमी आयी है. रोज करीब दर्जनों लोग 108 एंबुलेंस से सदर अस्पताल आते हैं. वन साइड की वजह से चालकों ने बनायी दूरी : जानकारी के अनुसार पहले चालक को मुख्यालय से गांव तक जाने और वहां से मरीज को लेकर आने तक का भाड़ा दिया जाता था, लेकिन विभाग ने जो फरमान जारी किया है, उससे चालकों में निराशा है. फरमान के तहत अब चालक को मरीज के घर से अस्पताल आने के लिए मरीज के घर से छह किलोमीटर तक 500 रुपये, इसके बाद प्रति किमी 13 रुपये की दर से भाड़ा भुगतान किया जाता है. इसी प्रकार अस्पताल से मरीज को वापस घर ले जाने का अस्पताल से मरीज के घर तक सिर्फ प्रति किलोमीटर 13 रुपये की दर से ही भाड़ा दिया जाता है. इस कारण वाहन चालकों को काफी नुकसान होता है. इसी वजह से चालक को बुलाने के बाद भी गांव जाने से कतराते हैं. क्या कहते हैं सीएस : जामताड़ा के सिविल सर्जन डॉ आनंद मोहन सोरेन ने कहा कि ममता वाहन का भाड़ा से संबंधित जो समस्या है, उसपर राज्य स्तर से ही विचार किया जा सकता है. ममता वाहन से लाेगों को काफी सुविधा मिलती है. विभाग के संज्ञान में यह विषय है.
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