कोडरमा. पूर्व मुख्यमंत्री सह झामुमो के संस्थापक शिबू सोरेन के निधन से पूरे राज्य में शोक की लहर है. उनके निधन की सूचना से कोडरमा में विभिन्न दलों के नेताओं ने शोक जताया है. दिशोम गुरु शिबू सोरेन का 80 के दशक से ही कोडरमा अनुमंडल की धरती से काफी लगाव था. हालांकि बाद में कोडरमा जिला बना. शिबू सोरेन ने जनवरी 1986 में सुदूरवर्ती सतगावां प्रखंड के अंबाबाद पंचायत के खबासडीह गांव के खीरीकला टोला में हजारों लोगों को बैठक कर संबोधित किया था. खीरीकला निवासी बीरबल बेसरा बताते हैं कि गुरुजी ग्रामीणों के साथ हो रहे महाजनी शोषण के खिलाफ तथा झारखंड अलग राज्य के आंदोलन के दौरान आये थे. जंगल क्षेत्र के रास्ते बांस में सखुवा का पत्ता बांध आगे की ओर निकलते रहते थे, ताकि भीड़ में शामिल लोग इधर-उधर न छूटे. शिबू सोरेन ने वर्ष 1987 में डोमचांच प्रखंड के बंगाखलार पंचायत व फुलवरिया में रात्रि चौपाल भी की थी. यही नहीं उन्होंने अगस्त 1992 में कोडरमा प्रखंड के मेघातरी पंचायत के बंदरचुआं तथा लोकाई इंदरवा में खनिज के अवैध उत्खनन के खिलाफ पदयात्रा का नेतृत्व किया था. वहीं झुमरीतिलैया स्थित अग्रसेन भवन में अलग राज्य की मांग को लेकर जिला स्तरीय बैठक की थी. बैठक में अलग राज्य आंदोलन को और भी तेज करने के लिए आंदोलनकारियों को निर्देश दिये थे. शिबू वर्ष 1995 में भी कोडरमा आये. यहां उन्होंने डोमचांच के फुलवरिया व काली मंडा में विशाल आमसभा को संबोधित किया था. झामुमो से विधानसभा चुनाव लड़ चुके झारखंड आंदोलनकारी नेता रविंद्र शांडिल्य बताते हैं कि गुरुजी आर्थिक नाकेबंदी के दौरान वर्ष 1997 में कोडरमा जिला झारखंड मुक्ति मोर्चा के द्वारा आयोजित स्थापना समिति की कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए थे. आर्थिक नाकाबंदी को प्रभावित करने के उद्देश्य से कार्यक्रम के तीन दिन पहले मेरे अलावा 10 नेताओं को पुलिस ने पकड़ कर मारपीट करते हुए जेल भेज दिया था. उस समय जब गुरुजी को सच्चाई का पता चला, तो उन्होंने अपने संबोधन में मंच के माध्यम से तत्कालीन एसपी नंदू प्रसाद को फटकार लगायी थी. वर्ष 2009 में शिबू सोरेन ने अपने मुख्यमंत्रित्व काल में डोमचांच अलग प्रखंड का उद्घाटन किया. साथ ही डेयरी मिल्क प्लांट का उद्घाटन कर चंद्रावती स्मारक उच्च विद्यालय डोमचांच मैदान में सभा को संबोधित किया था. जल, जंगल, जमीन के लिए संघर्षरत रहे शिबू सोरेन : डॉ नीरा कोडरमा. झामुमो के संस्थापक और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन के निधन पर स्थानीय विधायक डॉ नीरा यादव ने गहरा शोक जताया है. डॉ नीरा ने कहा है कि झारखंड अलग राज्य आंदोलन और जल, जंगल, जमीन के लिए वे संघर्षरत रहे. शिबू ने आदिवासी समुदाय, गरीबों और वंचितों के सशक्तीकरण के लिए समर्पित होकर कार्य किया. साथ ही राज्य की राजनीति में उनका महत्वपूर्ण योगदान स्मरणीय है. उनके निधन से पूरे झारखंड के राजनीतिक और सामाजिक क्षेत्र में अपूरणीय क्षति हुई है. देश की राजनीति को अपूरणीय क्षति : रवींद्र कोडरमा से विधानसभा चुनाव लड़ चुके रवींद्र शांडिल्य ने झामुमो के संरक्षक शिबू सोरेन के निधन पर शोक जताते हुए कहा है कि उनके निधन से देश की राजनीति को अपूरणीय क्षति हुई है. कोडरमा में भी शोक की लहर है. शिबू सोरेन कोडरमा के कई पार्टी नेताओं को नाम से जानते थे और घंटों उन्हें आंदोलन का प्रशिक्षण देकर परिपक्व करते थे. उनके निधन से हम झामुमो कार्यकर्ता बिल्कुल शून्य हो गये हैं.
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