तसवीर-8 लेट-9 ड्रोन से ली गयी तस्वीर संतोष कुमार. बेतला. आज बदलते टेक्नोलॉजी के दौर में जंगल की सुरक्षा भी हाईटेक तरीके से करने पर जोर है. ऐसे में आधुनिक तकनीकी का उपयोग पलामू टाइगर रिजर्व में किया जाने लगा है. वैश्विक क्रांति के अग्रदूत आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) कैमरा और अत्याधुनिक सेंसर व हाई रिजॉल्यूशन कैमरों से लैस ड्रोन के द्वारा जंगल और जानवरों की निगरानी शुरू की गयी है. हाइटेक शक्तिशाली ड्रोन कैमरा के जरिये पीटीआर के विशाल घने जंगलों, पहाड़ो, नदी और नालें सहित अन्य दुर्गम इलाकों का व्यापक हवाई सर्वेक्षण आसान हो गया है. पहले जगह-जगह पर क्लोज्ड सर्किट टेलिविजन (सीसीटीवी) कैमरा लगाया था अब उन्हें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कैमरा से जोड़ दिया गया है. इस तकनीक का उपयोग करके लाखों तस्वीरें अपलोड की जा सकेगी. बाघ, तेंदुआ, हाथी सहित अन्य दुर्लभ जानवरों के खतरों का कैमरे पर सिग्नल मिलेगा. पूर्व में पारंपरिक कैमरा ट्रेप और सीसीटीवी कैमरे आदि के साथ जमीनी गश्त के विपरीत, ड्रोन दुर्गम और कभी-कभी तो मानव पहुंच से दूर व्यापक क्षेत्रों का जल्दी से डेटा और फोटो कवर कर रहा हैं. इसके मदद से अब जंगली जानवरों का रेस्क्यू अथवा अन्य चुनौतीपूर्ण वातावरण में काम करना आसान हो गया है. इसके द्वारा पारिस्थितिक व्यवधान के बावजूद वास्तविक डेटा एकत्र कर लिया जा रहा हैं. इतना ही नहीं आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कैमरा के जरिए अब किसी भी तरह की जंगल में होने वाली गतिविधियों की सूचना अविलंब मोबाइल के जरिए सभी पदाधिकारी के उनके कार्यालय तक पहुंच रही हैं . जगह-जगह पर सर्विलेंस कैमरा लगाये गये हैं जिसके द्वारा ली गयी तस्वीरों को एआई कैमरा को भेजा जाता है. एआई कैमरा तुरंत खतरों की पहचान कर इसकी सूचना ऑनलाइन कर देता है.जंगल में शिकार , जंगल के पेड़ की कटाई, मवेशी का प्रवेश अथवा जंगली जानवरों का जंगल से निकलकर गांवों की ओर रूख करना और आग लगने का खतरों आदि का इस तकनीक से शुरुआती पहचान संभव हो पाया है जिससे उनके प्रबंधन में यह एक महत्वपूर्ण उपकरण साबित हो रहा है. आग लगने से पहले उठने वाली धुंआं के द्वारा ही कैमरा नेटवर्क अब वास्तविक समय की निगरानी प्रदान कर रहा है . जिससे संभावित आग के प्रकोपों पर त्वरित प्रतिक्रियायें संभव हो पाया है.एआई कैमरे आग के जोखिमों को लगभग तुरंत पहचानने के लिए उन्नत छवि पहचान और थर्मल सेंसिंग तकनीकों का उपयोग करते हैं. इसलिए यदि कोई पदाधिकारी वाहन में या कहीं अन्य जगहों पर भी होते हैं तो पलामू टाइगर रिजर्व में होने वाले किसी भी तरह की गतिविधियों की जानकारी उन्हें मिल जाती है. कौन जंगली जानवर कहां है और उसकी स्थिति कैसी है इसकी अब ऑनलाइन जानकारी मिल रही है.पलामू टाइगर रिजर्व प्रबंधन इस अभूतपूर्व बदलाव से उत्साहित हैं . पूर्व में जंगली जानवरों और शिकारी पर नजर रखने के लिए कैमरा ट्रैप का उपयोग किया जाता था. जिसका अपग्रेड रूप अब एआई कैमरा को माना जा रहा है. .स्थापना काल के 50 वर्षों के बाद अब हाइटेक टेक्नोलॉजी का उपयोग शुरू कर दिया गया है. आधुनिक तकनीक का उपयोग किये जाने से अब जंगल और जानवर की सुरक्षा पहले से आसान हो गयी है.इस तकनीक के कार्यान्वयन का पलामू टाइगर रिजर्व को काफी अच्छी प्रतिक्रिया मिली है.ड्रोन तकनीक में एक पीटीआर प्रबंधन को स्टाफ की कमी की स्थिति में एक शक्तिशाली सहयोगी मिल गया है. क्या कहते हैं डिप्टी डायरेक्टर: पलामू टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर प्रजेश कांत जेना ने कहा कि जंगल और जानवर को बचाने में आधुनिक तकनीकी का उपयोग जरूरी है. आज पूरा विश्व जंगल और जानवर बचाने के दिशा में काम कर रहा है. ऐसे में सरकार के निर्देश के बाद हाईटेक प्रोटेक्शन की प्रणाली शुरू की गयी है. ड्रोन और एआई कैमरा से काफी मदद मिल रही है.
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