सिल्ली के मारदु गांव से बाघ को किया गया रेस्क्यू
पलामू टाइगर रिजर्व के उपनिदेशक कुमार आशीष और प्रजेशकांत जेना के नेतृत्व में बाघ को जंगल में सुरक्षित तरीके से छोड़ दिया गया है. रांची के सिल्ली के मारदु गांव में पूरनचंद महतो के घर से बुधवार को वन विभाग की टीम ने बाघ का रेस्क्यू किया था. बाद में बिरसा मुंडा जू में डॉक्टरों की टीम ने बाघ के स्वास्थ्य की जांच की थी. इसके बाद उसे पलामू टाइगर रिजर्व लाया गया था.
पलामू टाइगर रिजर्व का ही है रेस्क्यू किया गया बाघ
सिल्ली से रेस्क्यू किया गया बाघ पलामू टाइगर रिजर्व का ही है. यह बाघ वर्ष 2023 में पलामू टाइगर रिजर्व के पलामू किला इलाके में देखा गया था. वर्ष 2023 के बाद यह हजारीबाग, चतरा के बाद गुमला होते हुए बंगाल सीमा तक पुरुलिया में गया था. वापस लौटने के दौरान यह काफी दिनों तक खूंटी के इलाके में रहा. खूंटी के बाद पलामू टाइगर रिजर्व के रास्ते में आबादी के कारण यह सिल्ली की तरफ चला गया था. सिल्ली में यह एक किसान के घर में घुस गया था, जहां से उसे रेस्क्यू कर वापस पीटीआर में छोड़ दिया गया है.
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झारखंड में सबसे अधिक भ्रमण करने वाला है यह बाघ
पीटीआर के डिप्टी डायरेक्टर ने बताया कि नर बाघ की उम्र 5 साल है. इसका वजन 200 किलोग्राम है. उन्होंने बताया कि यह बाघ झारखंड में सबसे अधिक भ्रमण करने वाला है. उन्होंने बताया कि पीटीआर के बाद यह चतरा, लावालौंग, गुमला, लोहरदगा, रांची और खूंटी का भ्रमण कर चुका है. बाघ ने किसी को नुकसान नहीं पहुंचाया है. उन्होंने बताया कि बाघ की निगरानी वन कर्मियों द्वारा की जा रही है. बाघ पूरी तरह स्वस्थ्य है. मौके पर डॉ सुनील और डॉ जाफर, रेंजर उमेश कुमार दुबे, अजय टोप्पो, वनपाल संतोष कुमार सिंह, विपिन कुमार, पंकज पाठक, विवेक विशाल, चंदन कुमार, रामकुमार और कृपाल भगत उपस्थित थे.
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