कई गांव के लोग जान हथेली पर रखकर करते हैं आवागमन. फोटो.टूटा पुल. किस्को. किस्को और सदर प्रखंड को जोड़नेवाली होंदगा कुजरा मुख्य पथ पर स्थित कुजरा पुल प्रशासनिक और जनप्रतिनिधियों की ढुलमुल नीति से हर वक्त राहगीरों को मौत से मुलाकात करा रही है.उक्त ध्वस्त पुल से पार पाना हमेशा लोगों के लिए बड़ी चुनौती साबित हो रही है. जान जोखिम में डालकर किस्को व सदर प्रखंड के दर्जनों गांवों के लोग पुल पर आवागमन करते हैं. अगस्त 2024 में अत्यधिक बारिश के वजह से पुल आधा धंस गया है, जो इस बारिश में और खतरनाक हो गया है.उक्त पुल और होंदगा कुजरा जर्जर सड़क का निर्माण कार्य कराए जाने के लिए ग्रामीणों ने विधानसभा चुनाव में वोट बहिष्कार की चेतावनी भी प्रशासन को दी थी. तत्पश्चात प्रशासनिक अमला की टीम द्वारा होंदगा गांव पहुंचकर ग्रामीणों को विस चुनाव संपन्न होने के बाद यथाशीघ्र सड़क और अधूरे ध्वस्त पुल का निर्माण कार्य कराये जाने का आश्वासन दिया गया था. इसके बाद ग्रामीणों ने मतदान करने के लिए राजी हुए थे, लेकिन चुनाव संपन्न हुए अब महीनों बीत जाने के बाद भी उक्त पथ और पुल का निर्माण कार्य कराये जाने को लेकर कोई सुगबुगाहट नहीं होने और दिन-ब-दिन बड़े वाहनों का परिचालन जारी रहने से पुल का शत-प्रतिशत ध्वस्त होने की संभावना बढ़ गयी है. यहां पर प्रशासन की ओर से मिले आश्वासन पर कोई ठोस पहल दिखाई नहीं देने से होंदगा और कुजरा समेत आस-पास के लोगों में काफी नाराजगी बनी हुई है. लोगों का कहना है कि प्रशासनिक अधिकारियों के आश्वासन का भी अब भरोसा नहीं रह गया. हमारे समक्ष हर वक्त बड़ी चुनौती बनी हुई है. लेकिन जर्जर हालत में स्थित सड़क और अधूरे ध्वस्त पुल का निर्माण कार्य नहीं कराया जाना प्रशासनिक अधिकारियों की बड़ी लापरवाही और यहां के जनप्रतिनिधियों की ढूलमूल नीति को दर्शाता है.गांव वालों ने एक बार फिर से प्रशासन से गुहार लगाते हुए कहा है कि सड़क और अधूरे ध्वस्त पुल का जनहित में शीघ्र निर्माण कार्य कराया जाये और यदि जनता की जायज मांगों पर तत्काल पहल नहीं हुई तो बाध्य होकर आंदोलन को उतारू हो जायेंगे. जिसकी सारी जवाबदेही प्रशासन और जनता द्वारा चुने हुए जनप्रतिनिधियों की होगी.
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