कुड़ू़ कुड़ू प्रखंड में माॅनसून की तेज शुरुआत और 19 जून से रुक-रुक कर हो रही भारी बारिश ने जहां दलहन और तिलहन की खेती को पीछे धकेल दिया है, वहीं धान की रोपनी का कार्य भी बुरी तरह प्रभावित हुआ है. अब तक प्रखंड में महज 15 प्रतिशत धान की रोपनी हो पायी है. इस वर्ष बारिश ने पिछले पांच वर्षों का रिकॉर्ड तोड़ दिया है. वर्ष 2020 में 15 जून से 15 जुलाई तक अधिकतम 326.5 मिमी वर्षा हुई थी, जबकि इस बार इसी अवधि में रिकॉर्ड 635.2 मिमी बारिश दर्ज की गयी है. अतिवृष्टि के कारण कई किसानों के धान का बिचड़ा बह गया या क्षतिग्रस्त हो गया, जिससे उन्हें दोबारा बिचड़ा तैयार करना पड़ा. बताया जाता है कि 17 जून को माॅनसून ने क्षेत्र में दस्तक दी. 18 जून को 144.3 मिमी और 19 जून को सबसे अधिक 182.6 मिमी बारिश रिकॉर्ड की गयी. 15 जून से 30 जून तक धान का बिचड़ा लगाने का उपयुक्त समय होता है, लेकिन लगातार बारिश और खेतों में जलजमाव के कारण किसानों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ा. जलजमाव के कारण बिचड़ा पूरी तरह तैयार नहीं हो सका. एक से पांच जुलाई तक लगाये गये बिचड़ों का अंकुरण नहीं हो पाया. इससे रोपनी में देरी हुई और अब तक केवल 15 प्रतिशत रोपनी संभव हो पायी है. दूसरी ओर टांड़ क्षेत्र की खेती भी पिछड़ गयी है. किसान मक्का, मडुवा, उरद, अरहर, मूंगफली और सब्जी की फसलें नहीं लगा पायें. कुछ किसानों द्वारा बोई गयी दलहन और तिलहन की फसलें बारिश के कारण जमीन में सड़ गयीं. एक सप्ताह बाद रोपनी कार्य में तेजी आने की उम्मीद : प्रभारी प्रखंड कृषि पदाधिकारी सुनील चंद्र कुंवर ने बताया कि अतिवृष्टि के कारण बिचड़ा तैयार नहीं हो पाया, जिससे धान की रोपनी प्रभावित हुई है. एक सप्ताह बाद रोपनी कार्य में तेजी आने की उम्मीद है. टांड़ खेती की स्थिति भी बेहद खराब है और अब तक तीन प्रतिशत भी बुआई नहीं हो पायी है.
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