भुरकुंडा. भुरकुंडा में लोकल सेल खोलने का मामला एक बार फिर अटक गया है. बुधवार को भुरकुंडा परियोजना कार्यालय में लोकल सेल के मुद्दे पर विभिन्न समितियों व प्रबंधन के बीच लंबी बैठक चली. सभी समितियों ने अपने पक्ष को रखा, लेकिन लोकल सेल में हिस्सेदारी को लेकर अंतिम सहमति नहीं बन सकी. इसके कारण भुरकुंडा लोकल सेल खुलने का मामला फिर से ठंडे बस्ते में चला गया. परियोजना पदाधिकारी राकेश सत्यार्थी की अध्यक्षता में हुई बैठक में रैयत विस्थापित मोर्चा के बैनर तले हिस्सेदारी की मांग कर रहे राजस्व गांव देवरिया बरगांवा व दुंदूवा के प्रतिनिधि लोकल सेल में 10-10 प्रतिशत की हिस्सेदारी की मांग कर रहे थे. इस पर बात नहीं बन सकी. बैठक में प्रबंधन की ओर से कहा गया कि जब तक हिस्सेदारी को लेकर समितियों में आपसी सहमति नहीं बन जाती है, तब तक लोकल सेल खोलने की प्रक्रिया शुरू नहीं की जायेगी. इसलिए समितियां पहले आपस में सहमति बनायें. इसके बाद ही प्रबंधन द्वारा लोकल सेल मामले में पहल की जायेगी. मालूम हो कि विगत कई वर्षों से बंद भुरकुंडा लोकल सेल को खोलने के लिए पिछले वर्ष प्रयास शुरू हुआ था. लोकल सेल खोलने के लिए प्रबंधन भी कई स्टेप आगे बढ़ा था, लेकिन लोकल सेल में हिस्सेदारी के लिए करीब एक दर्जन समितियां खड़ी हो गयी. कई दौर की बैठकों के बाद भी समितियों में हिस्सेदारी के मसले पर सहमति नहीं बनने के कारण लोकल सेल का मुद्दा ठंडे बस्ते में चला गया था. इधर, कुछ दिनाें से एक बार फिर से लोकल सेल खोलने को लेकर प्रयास शुरू हुआ, लेकिन हिस्सेदारी को लेकर सहमति नहीं बन सकी. ऐसे में लोकल सेल खुलने के भविष्य पर प्रश्न चिह्न लग गया है. बैठक में प्रदीप मांझी, झरी मुंडा, सरोज झा, रजलाल मुंडा, राजेंद्र मुंडा, वीरेंद्र मांझी, शंकर मांझी, रावेल एक्का, रामदास बेदिया, वीरेंद्र यादव, दर्शन गंझू, रमन सिंह, कैलाश प्रसाद, विजय मुंडा, सन्नी बेसरा, मुकेश पासवान, बबन पांडेय, अमर यादव, राणा प्रताप सिंह, संतोष मांझी, आजाद अंसारी, जुगल पासवान, अजय साहू मौजूद थे.
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