मांडू. कृषि विज्ञान केंद्र, मांडू में अनुसूचित जनजाति किसानों के लिए उद्यमिता विकास विषय पर किसान सेमिनार का आयोजन पटना के निदेशक डॉ अनूप दास के मार्गदर्शन में किया गया. सेमिनार में किसानों को नयी तकनीक, व्यावसायिक संभावना और सरकारी योजनाओं की जानकारी दी गयी. उन्होंने किसानों से कहा कि ड्रिप सिंचाई, सोलर पंप, स्मार्ट फार्मिंग और कृषि यंत्रीकरण को अपना कर अपनी उत्पादन क्षमता को बढ़ा सकते हैं. यह कार्यक्रम किसानों के आर्थिक एवं सामाजिक सशक्तीकरण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ. वैज्ञानिकों एवं विशेषज्ञों ने किसानों को आत्मनिर्भर बनने के लिए कृषि से जुड़े विविध व्यावसायिक अवसरों की जानकारी दी. निदेशक डॉ अनूप दास ने किसानों को स्वरोजगार के लिए नयी तकनीकों और सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने के लिए प्रेरित किया. आज का किसान केवल पारंपरिक खेती तक सीमित नहीं रह सकता है. यदि हम आधुनिक कृषि तकनीक और नवाचार को अपनायेंगे, तो कम लागत में अधिक उत्पादन संभव है. उन्होंने कृषि यंत्रीकरण, जैविक खेती, एकीकृत कृषि प्रणाली (आइएफएस) और डिजिटल कृषि को बढ़ावा देने की आवश्यकता बतायी. आइएआरआइ झारखंड के विशेष कार्य अधिकारी डॉ विशाल नाथ ने किसानों को सब्जी उत्पादन, फल बागवानी और फूलों की खेती को बेहतरीन विकल्प बताया. उन्होंने पॉली हाउस एवं नेट हाउस तकनीक का उपयोग कर अधिक उत्पादन लेने की सलाह दी. केंद्रीय वर्षाश्रित उपराऊं भूमि चावल अनुसंधान केंद्र, हजारीबाग के प्रमुख डॉ एनपी मंडल ने बताया कि बीज उत्पादन अत्यधिक लाभदायक कृषि व्यवसाय है. पटना विभागाध्यक्ष डॉ उज्ज्वल कुमार ने कहा कि छोटे किसानों के लिए प्रभावी विपणन रणनीति आवश्यक है. प्रधान वैज्ञानिक डॉ एसएम प्रसाद ने कहा कि किसानों के बीच पारंपरिक खेती के साथ-साथ आधुनिक और वैज्ञानिक पद्धतियों को अपना कर किसान अपनी आय बढ़ा सकते हैं. वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ बिभाष वर्मा ने मृदा परीक्षण प्रयोगशालाओं की स्थापना कर किसान दूसरों की मिट्टी की जांच कर सेवा एवं व्यवसाय दोनों पर बल दिया. कृषि विज्ञान केंद्र के प्रमुख डॉ सुधांशु शेखर ने बताया कि पशुपालन ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ है. इसमें स्वरोजगार की असीम संभावना है. वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ दीपक गुप्ता ने जलवायु परिवर्तन के प्रभावों और उसके समाधान पर जोर दिया. डॉ मनोज कुमार ने बताया कि केंद्र एवं राज्य सरकार के अनुसूचित जनजाति किसानों के लिए योजनाओं का लाभ उठाकर उद्यमी बनाने को कहा. कार्यक्रम में अनुसूचित जनजाति के 70 किसानों को छोटे कृषि यंत्र दिये गये. मौके पर पटना के प्रधान वैज्ञानिक डॉ अभय कुमार, डॉ पीसी चंद्रन उपस्थित थे. प्रशिक्षण को सफल बनाने में केंद्र के डॉ इंद्रजीत, डॉ धर्मजीत खेरवार, सन्नी कुमार, गौरव कुमार, रोशन कुमार एवं शशिकांत चौबे ने अहम योगदान दिया.
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