प्रभात खबर आपके द्वार कार्यक्रम में नापो गांव के लोगों ने रखीं समस्याएं

गांव में समस्याओं का है अंबार, पर पानी व सड़क समस्या सबसे बड़ी

By VIKASH NATH | June 2, 2025 10:01 PM
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हेडिंग…गांव में समस्याओं का है अंबार, पर पानी व सड़क समस्या सबसे बड़ी

1 गिद्दी 1. प्रभात खबर आपके द्वार कार्यक्रम में शामिल लोग

1 गिद्दी 2-पच्चू भुइयां

1 गिद्दी 3-कजरिया देवी

1 गिद्दी 4-चुआं से पानी लातीं बच्चियां

1 गिद्दी 5-मुन्ना देवी

1 गिद्दी 6-भुलन भुइयां

1 गिद्दी 7-छेदी भुइयां

1 गिद्दी 8-विक्रम कुमार

1 गिद्दी 9-सुखदेव भुइयां

1 गिद्दी 10-संजय भुइयां

1 गिद्दी 11-विनोद भुइयां

1 गिद्दी 12-कमल गोप

1 गिद्दी 13-गांव की कच्ची सड़क

अजय कुमार/रंजीत सिंह, गिद्दी (हजारीबाग)

गांव के लोग स्पंज फैक्टरियों के प्रदूषण की मार झेल रहे हैं : हेसालौंग पंचायत के पूर्व मुखिया पच्चू भुइयां ने कहा कि गांव में गरीबी है. ज्यादातर लोग अशिक्षित हैं. गांव की दिशा व दशा में सुधार के प्रति प्रशासन व सरकार गंभीर नहीं हैं. गांव के 18 से 20 गरीब लोगों को पीएम व दो लोगों को अबुआ आवास दिया गया है. गांव के विकास के लिए हम लगातार कोशिश कर रहे हैं. कुछ बदलाव हुआ है, लेकिन अभी भी यह गांव काफी पिछड़ा है. दो स्पंज फैक्टरियों के बीच में यह गांव बसा हुआ है. प्रदूषण से गांव की जमीन प्रदूषित हो रही है. प्रबंधन ने फैक्टरी परिसर में डीपबोरिंग कराया है. इसका प्रतिकूल प्रभाव गांव के चापानलों पर पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि गांव में वन विभाग की भी जमीन है. इसके कारण गांव की सड़क नहीं बन पा रही है. इसके लिए जिला प्रशासन को पहल करनी होगी, तभी यह सड़क बन सकती है.

अधूरा है मनरेगा का तालाब : गांव के भूलन भुइयां उर्फ भुवनेश्वर भुइयां ने कहा कि मनरेगा से आठ-10 वर्ष पहले एक तालाब का निर्माण कार्य शुरू कराया गया था. संबंधित पदाधिकारी ने राशि की मांग की थी, लेकिन हमने नहीं दिया. इसके कारण यह अधूरा है. हालांकि, 80 हजार की निकासी हो चुकी है. उन्होंने कहा कि गांव के एक व्यक्ति ने मनरेगा से डोभा का निर्माण कार्य कराया था. उसने भूमि प्रतिवेदन भी प्रस्तुत किया था. बाद में पता चला कि यह जमीन वन विभाग की है. यह डोभा अब वन विभाग के कब्जे में है. इसके अलावा मनरेगा से कोई कार्य नहीं हुआ है. गांव में मनरेगा के 150 जॉब कार्डधारी हैं, लेकिन कुछ लोगों को मनरेगा से कभी-कभी ही काम मिलता है. गांव के लोगों के पास मनरेगा जॉबकार्ड सिर्फ नाम का है. दीपक कुमार का कहना है कि गांव में सिर्फ हमने ही स्नातक तक पढ़ाई की है. एक साल तक बिहार फाउंड्री में सुरक्षाकर्मी के तौर पर काम किया. फिलहाल हम बेरोजगार हैं. काम नहीं मिल रहा है. ईंट भट्ठा में काम करते हैं. गांव के अधिकांश लोग ईंट भट्ठा व दिहाड़ी मजदूरी करते हैं.

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