Home Badi Khabar कुड़मी समाज के आंदोलन पर सालखन मुर्मू ने JMM को ठहराया जिम्मेदार, 1932 खतियान मुद्दे पर भी बोला हमला

कुड़मी समाज के आंदोलन पर सालखन मुर्मू ने JMM को ठहराया जिम्मेदार, 1932 खतियान मुद्दे पर भी बोला हमला

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कुड़मी समाज के आंदोलन पर सालखन मुर्मू ने JMM को ठहराया जिम्मेदार, 1932 खतियान मुद्दे पर भी बोला हमला

रांची: एसटी में शामिल करने को लेकर कुरमी समाज ने एक बार फिर से आंदोलन की चेतावनी दी है. उन्होंने सरकार को इसके लिए शीतकालीन सत्र तक का समय दिया है. मांगों पर विचार नहीं होने पर वो झारखंड और ओड़िशा में भी वृहद पैमाने पर आंदोलन/ रेल रोकने की घोषणा की है. वहीं इस मुद्दे पर आदिवासी सेंगेल अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, पूर्व सांसद सलखन मुर्मू ने कहा है कि जनांदोलन करने का अधिकार सबको है, पर इस एक्शन के खिलाफ आदिवासी समाज में व्यापक प्रतिक्रिया भी लाजिमी है.

उन्होंने झामुमो पर हमला बोलते हुए कहा कि कुरमी/ कुड़मी महतो को एसटी बनाने के मुद्दे के लिए वो सबसे अधिक दोषी है. क्योंकि इस पार्टी ने वोट के लालच व स्वार्थ के लिए कुड़मी महतो जाति को एसटी बनाने के लिए समर्थन देकर भड़काने का काम किया है. झामुमो के सभी सांसद विधायकों ने आठ फरवरी 2018 को हेमंत सोरेन के नेतृत्व में तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास को हस्ताक्षरित ज्ञापन दिया था.

उन्होंने कहा कि झामुमो का यह फैसला आदिवासी विरोधी है और यह आदिवासियों के नरसंहार का रास्ता प्रशस्त करता है. आदिवासियों के भोलेपन और राजनीतिक कुपोषण का बेजा फायदा उठाकर झामुमो आदिवासियों का सर्वाधिक नुकसान कर रहा है. यह आदिवासी समाज का दुर्भाग्य है कि जाने-अनजाने झामुमो की “बी टीम” की तरह कार्यरत माझी परगना महाल, आसेका, संताली लेखक संघ और पंडित रघुनाथ मुर्मू से जुड़े अनेक सामाजिक संगठन, लुगु- बुरु कमेटी आदि आंख मूंदकर झामुमो को समर्थन देकर अपनी कब्र खोदने का काम खुद करते हैं.

सरना धर्म कोड पर टालमटोल और 1932 के खतियान पर आधारित स्थानीयता के अव्यवहारिक मामले पर भी झामुमो ने आदिवासी समुदाय को ठगने का ही काम किया है. आदिवासी सेंगेल अभियान झामुमो के खिलाफ सामाजिक और राजनीतिक जन जागरण के कार्यक्रम को व्यापक करेगा़ जरूरत पड़ी तो आदिवासी हित में झामुमो विरोधी राजनीतिक दलों से बातचीत भी करेगा.

रिपोर्ट- मनोज लकड़ा

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