
रांची. केंद्रीय सरना संघर्ष समिति और हेसल सरना समिति के संयुक्त तत्वावधान में रविवार को पिस्का मोड़ स्थित सत्यरी सरना स्थल पर सरना प्रार्थना सभा हुई. इस अवसर पर पाहन, पईनभोरा और कोटवार (चारे भगत, अन्नु मुंडा, बितो मुंडा) ने सबकी सुख, शांति और समृद्धि की कामना की. मुख्य अतिथि विधायक सुरेश कुमार बैठा ने कहा कि आदिवासी ही प्रकृति के रक्षक हैं. जल, जंगल और जमीन का संरक्षण आज की आवश्यकता है. हमारे पुरखों ने समृद्ध संस्कृति दी है. यह संस्कृति ही आदिवासियों की पहचान है. हमें वैचारिक रूप से और मजबूत बनने की आवश्यकता है.
आदिवासी संस्कृति का संरक्षण जरूरी
इस दौरान सामाजिक कार्यकर्ता और टीएसी के सदस्य नारायण उरांव ने कहा कि आदिवासी संस्कृति का संरक्षण जरूरी है. संस्कृति रहेगी तभी आदिवासी समुदाय का भी अस्तित्व होगा. चारे भगत ने कहा कि सरना धर्म की परंपरा और संस्कृति को बचाने के लिए सबको आगे आना होगा. मौके पर केंद्रीय सरना संघर्ष समिति के अध्यक्ष शिवा कच्छप, अनूप किंडो, सती तिर्की, अनिता उरांव, जितू उरांव, शोभा तिर्की, प्रमिला उरांव, बिक्की तिर्की, नूरी तिर्की, रीता खलखो, सुनीता कुजूर, पिंकी कुजूर, वृद्धि कुजूर उपस्थित थे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है