Home झारखण्ड रांची Ranchi News : कोकर इंडस्ट्रियल एरिया में 49 घंटे की मशक्कत के बाद बुझी आग

Ranchi News : कोकर इंडस्ट्रियल एरिया में 49 घंटे की मशक्कत के बाद बुझी आग

0
Ranchi News : कोकर इंडस्ट्रियल एरिया में 49 घंटे की मशक्कत के बाद बुझी आग

वरीय संवाददाता, रांची. कोकर इंडस्ट्रियल एरिया स्थित सुप्रीम टेक्नो इंडिया फर्नीचर दुकान सह गोदाम में रविवार की दोपहर 3:00 बजे लगी आग को मंगलवार की शाम 4:00 बजे पूरी तरह बुझा लिया गया. इस अग्निकांड पर काबू पाने में 49 घंटे का वक्त लगा, जिसमें राजधानी स्थित आड्रे हाउस फायर स्टेशन सहित अन्य फायर स्टेशनों के फायर ब्रिगेड वाहन और कर्मी लगे रहे. आग बुझाने के लिए 150 से अधिक टैंकर पानी का इस्तेमाल किया गया. दुकान संचालक के बेटे ने बतायी आग लगने की वजह : दुकान के संचालक गुरुवचन सिंह के पुत्र मनमीत सिंह ने बताया कि शॉर्ट सर्किट के कारण आग लगी थी, किसी ने जानबूझ कर आग नहीं लगायी. घटना रविवार को हुई थी. उस समय गोदाम में केवल दो कर्मचारी मौजूद थे, जो निहायत ही शरीफ हैं. उन पर कोई शक नहीं किया जा सकता. हालांकि, इस दुर्घटना में बड़ा आर्थिक नुकसान हुआ है, जिसकी भरपाई करने में सालों लग सकते हैं. लेकिन राहत की बात यह रही कि किसी भी कर्मचारी को कोई नुकसान नहीं हुआ. व्यवस्था पर उठ रहे सवाल : इस अग्निकांड के बाद कोकर इंडस्ट्रियल एरिया की सुरक्षा व्यवस्थाओं पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं. औद्योगिक क्षेत्र के दोनों मुख्य प्रवेश द्वारों पर लगे बैरियर को इस तरह डिजाइन किया जाना चाहिए कि किसी भी आपातकालीन स्थिति में उन्हें आसानी से हटाया जा सके, ताकि फायर ब्रिगेड या बड़ी एंबुलेंस को प्रवेश करने में कोई बाधा न हो. फायर ब्रिगेड को आने में हुई देरी : दुकान मुख्य सड़क से ज्यादा दूर नहीं थी, लेकिन फायर ब्रिगेड वाहन को कोकर चौक से घूमकर आना पड़ा, जिससे आग बुझाने की प्रक्रिया में देरी हुई. इसके अलावा एनएच पर ट्रैफिक जाम होने के कारण फायर ब्रिगेड वाहन को आने में मुश्किलें हुईं. फोम के इस्तेमाल में हुई देरी : विशेषज्ञों के अनुसार, आग पर नियंत्रण पाने में फोम काफी प्रभावी होता है, खासकर जब आग प्लास्टिक और पेट्रोलियम उत्पादों से लगी हो. कुर्सी बनाने में प्लास्टिक का उपयोग होता है, जो जलने के बाद पेट्रोलियम पदार्थ जैसी स्थिति में आ जाता है. बावजूद इसके फोम का इस्तेमाल 30 घंटे बाद किया गया, जो पहले ही किया जाना चाहिए था. संकीर्ण बाउंड्री बनी बाधा : गोदाम की बाउंड्री काफी सटी-सटी थी, जिससे पीछे से आग बुझाने में कठिनाई आयी. आदर्श रूप से बाउंड्री में कम से कम तीन फीट का अंतर होना चाहिए, ताकि बचाव कार्य सुचारू रूप से हो सके. गनीमत रही कि आग अन्य घरों तक नहीं फैली, वर्ना हादसा और बड़ा हो सकता था.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel
Exit mobile version