बोरियो. बोरियो प्रखंड में पंचायत सचिव परमानंद मंडल को प्रखंड पंचायती राज पदाधिकारी (बीपीआरओ) का अतिरिक्त प्रभार सौंपे जाने को लेकर विवाद खड़ा हो गया है. आरोप है कि नियमावली को दरकिनार कर यह जिम्मेदारी ऐसे व्यक्ति को सौंपी गयी है, जो इस पद के लिए आवश्यक पात्रता पूरी नहीं करता. जानकारी के अनुसार, कुछ महीने पूर्व बोरियो प्रखंड के पूर्व बीपीआरओ का स्थानांतरण बरहरवा कर दिया गया था. इसके बाद से बीपीआरओ का कार्यभार परमानंद मंडल को सौंपा गया, जो वर्तमान में बांझी संथाली और बीरबल कांदर पंचायत के पंचायत सचिव के रूप में कार्यरत हैं. आरोप है कि उन्हें महज दो वर्षों की सेवा के बावजूद बीपीआरओ जैसा महत्वपूर्ण पद दे दिया गया, जबकि प्रखंड में कई ऐसे पंचायत सचिव कार्यरत हैं जो 15–16 वर्षों से सेवा दे रहे हैं और इस पद के लिए पूरी तरह पात्र हैं. प्रखंड विकास पदाधिकारी (बीडीओ) नागेश्वर साव पर पक्षपात का आरोप लगाते हुए कहा गया है कि उन्होंने वरिष्ठ और योग्य पंचायत सचिवों को नजरअंदाज कर परमानंद मंडल को पदभार सौंपा है. विश्वसनीय सूत्रों की मानें तो बीडीओ की मेहरबानी के चलते ही परमानंद मंडल को यह जिम्मेदारी मिली है. झारखंड पंचायती राज अधिनियम और संबंधित नियमावली के अनुसार, बीपीआरओ पद के लिए वही पंचायत सचिव पात्र होते हैं, जिन्होंने किसी भी जिले के प्रखंड में कम से कम सात वर्षों की नियमित सेवा पूरी की हो तथा जिनकी सेवा संपुष्ट हो चुकी हो. परंतु परमानंद मंडल इस मानदंड को पूरा नहीं करते हैं. जब इस विषय पर डीपीआरओ अनिल कुमार से संपर्क किया गया, तो उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि बीपीआरओ बनाये जाने का निर्णय बीडीओ द्वारा लिया गया है. मुझे इसकी पूर्व जानकारी नहीं थी. यदि कोई पंचायत सचिव इस पद के लिए पात्र है, तो उसी को यह जिम्मेदारी दी जानी चाहिए. नियमों की अनदेखी करना गलत है. इस विवाद के बाद प्रखंड के पंचायत सचिवों और अन्य कर्मियों में रोष है और पारदर्शिता की मांग की जा रही है. अब देखना यह होगा कि जिला प्रशासन इस मामले में क्या कदम उठाता है.
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