हूल विद्रोह संताल परगना से होकर भागलपुर, मुर्शिदाबाद और बांकुड़ा तक फैल गया था

15000 के करीब संताल मारे भी गये, पर ‘स्वराज-स्वशासन’ के लिए वे लड़ाई लड़ते रहे, पीछे नहीं हटे. ऐसे में अंग्रेजी हुकूमत के लिए यही रास्ता बचा कि वे मार्शल लॉ हटायें.

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 30, 2024 9:30 AM
an image

छह महीने के भीतर ही संताल हूल का यह विद्रोह भयानक रूप धारण कर पूरा संताल परगना, हजारीबाग, बंगाल के धुलियान, मुर्शिदाबाद व बांकुड़ा और बिहार के भागलपुर तक फैल गया. 21 सितंबर 1855 तक वीरभूम से दक्षिण-पश्चिम जीटी रोड पर स्थित गोबिंदपुर तालडांगा और दक्षिण पूर्व में सैंथिया से पश्चिम और गंगा घाटी वाले इलाके में राजमहल व भागलपुर जिले के पूर्वोत्तर और दक्षिणेत्तर इलाके तक विद्रोही गतिविधियां काफी तेज थी. अब ऐसी स्थिति आने लगी थी कि आंदोलन कर रहे लोगों को हुकूमत ने जेल के अंदर डालना शुरू कर दिया. जेलों में पहले से ही भीड़भाड़ थी. हूल पर लिखी गयी अपनी पुस्तक में पीटर स्टैनली लिखते हैं ” 1855 के अक्तूर के अंत तक सिउडी जेल, जिसकी क्षमता 375 कैदियों को रखने की थी, वहां 446 लोग रखे गये थे, जिनमें ज्यादातर संताल ही थे.

भागलपुर जेल जो 200 कैदियों के लिए बनायी गयी थी, अकेले 717 संतालों को रखा गया था. यहां लगभग 500 को तो असमर्थता की स्थिति में छोड़ना पड़ा. कई जगह तो इस बात का भी जिक्र है कि भागलपुर जेल में ही 87 कैदियों की हिरासत में मौत हो गयी थी़ हूल के दौरान भीड़ बढ़ने से पहले ही लेफ्टिनेंट-गवर्नर ने स्वीकार कर लिया था कि जेलें ”अत्यधिक अस्वास्थ्यकर” थीं. बावजूद विद्रोहियों का आंदोलन थमने का नाम नहीं ले रहा था़

इसके बाद विद्रोहियों ने पूरा वीरभूम तहस-नहस कर दिया. नारायणपुर, नलहाटी, रामपुरहाट, सैंथिया ही नहीं, वीरभूम जिला का मुख्यालय सिउड़ी और उससे पश्चिम स्थित नागौर व हजारीबाग के नजदीक खड़डीहा में सियारामपुर तक सारी पुलिस चौकियों और इलाके को नवंबर 1855 के अंत तक लूटकर विद्रोहियों ने ईस्ट इंडिया कंपनी को मुश्किल में ला दिया. बिहार से बंगाल की ओर जानेवाली मुख्य सड़क पर विद्रोहियों का कब्जा हो गया.

डाक हरकारे को रोके जाने और उनकी डाक थैलियां लूट लिये जाने से विद्रोहियों से अग्रेजों की परेशानी बढ़ती गयी. ऐसे में अंग्रेजों की सेना ने भी कहर बरपाया. 15000 के करीब संताल मारे भी गये, पर ‘स्वराज-स्वशासन’ के लिए वे लड़ाई लड़ते रहे, पीछे नहीं हटे. ऐसे में अंग्रेजी हुकूमत के लिए यही रास्ता बचा कि वे मार्शल लॉ हटायें. सेक्शन 3 रेगुलेशन X 1804 के तहत लगा तीन जनवरी 1856 को अंतत: मार्शल लॉ हटाना पड़ा. इसे 10 नवंबर 1855 को लगाया गया था.

इससे पहले संताल परगना को Acts of XXXVII 1855 (बाद में X of 1857) के तहत अलग जिला बनाकर नन रेगुलेशन डिस्ट्रिक्ट का दर्जा देना पड़ा. डिप्टी कमिश्नर के तौर पर तब एश्ले इडेन सीएस विशेष रूप से नियुक्त किये गये. सिविल के साथ क्रिमिनल ज्यूरिडिक्शन पावर भी उन्हें दिये गये. चार उप जिलों के लिए चार सहायक अधिकारी भी दिया गया. इनमें डीन शट के मुवमेंट आर्डर के बाद उत्तरी डिविजन के लिए लॉयड मोर यानी मयुराक्षी नदी के किनारे बसे नया दुमका पहुंचे थे.

एक अन्य कानून Acts XXXVIII 1855 को दिसंबर में ही लागू किया गया. इसके तहत स्पीडी ट्रायल व सजा दिलाने का प्रावधान किया गया था. इसके तहत जनवरी 1856 के पहले सप्ताह तक अधिकतर आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया. सिदो अगस्त में ही गिरफ्तार किये जा चुके थे और उनको भागलपुर के कोर्ट से सजा हो चुकी थी. जबकि कान्हू सहित अन्य भी गिरफ्तार कर लिये गये. बरहेट में सिदो को फांसी दे दी गयी.

संबंधित खबर और खबरें

यहां साहिबगंज न्यूज़ (Sahibganj News) , साहिबगंज हिंदी समाचार (Sahibganj News in Hindi), ताज़ा साहिबगंज समाचार (Latest Sahibganj Samachar), साहिबगंज पॉलिटिक्स न्यूज़ (Sahibganj Politics News), साहिबगंज एजुकेशन न्यूज़ (Sahibganj Education News), साहिबगंज मौसम न्यूज़ (Sahibganj Weather News) और साहिबगंज क्षेत्र की हर छोटी और बड़ी खबर पढ़े सिर्फ प्रभात खबर पर .

होम E-Paper News Snaps News reels
Exit mobile version