संताल हूल विशेष: सिद्दो-कान्हू, चांद-भैरव और फूलो-झानों से जुड़ी ये बातें जरूर जानिये

संताल हूल क्रांति की अगुवाई में सिद्दो कान्हू, चांद और भैरव नाम के चार आदिवासी भाइयों ने की थी. इनकी बहनें फूलो और झानों ने भी आंदोलन में काफी सहयोग किया था. आज की स्टोरी में हम इन क्रांतिकारी भाई-बहनों के बारे में जानेंगे.

By SurajKumar Thakur | June 26, 2020 4:56 PM
feature

रांची: औपनिवेशक भारत में तात्कालीन संयुक्त बिहार के दामिन ए कोह इलाके में संताल हूल क्रांति की अगुवाई में सिद्दो कान्हू, चांद और भैरव नाम के चार आदिवासी भाइयों ने की थी. इनकी बहनें फूलो और झानों ने भी आंदोलन में काफी सहयोग किया था. आज की स्टोरी में हम इन क्रांतिकारी भाई-बहनों के बारे में जानेंगे.

भोगनाडीह में आकर बस गये थे पूर्वज

संताल हूल क्रांति पर लिखे गये कई लेखों और किताबों में उल्लेख मिलता है कि सिद्दो कान्हू के पूर्वज हजारीबाग और गिरिडीह के बीच बसे किसी गांव से दामिन ए कोह की तरफ आये. तब संताल आदिवासी भोजन, शिकार और चारागाह की तलाश में नये इलाकों में जाते रहते थे. दामिन ए कोह के भोगनाडीह गांव में सिद्दो कान्हू के पूर्वज आकर बस गये.

ये वो दौर था जब ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी स्थानीय जमींदारों के सहयोग से संताल आदिवासियों को कृषि के उद्देश्य से राजमहल की पहाड़ियों की तलहटी में बसा रही थी. भोगनाडीह, एक ऐसा ही बसा हुआ गांव था.

चुन्नी मुर्मू और सुबी हांसदा के घर हुआ था जन्म

भोगनाडीह में ही चुन्नी मुर्मू और सुबी हांसदा के घर सिद्दो कान्हू चांद भैरव का जन्म हुआ. इस घऱ में दो बेटियों ने भी जन्म लिया. जिनका नाम रखा गया फूलो और झानों. इन सबकी जन्मतिथि को लेकर कोई स्पष्ट एतिहासिक जानकारी नहीं है. हालांकि कई जगह उल्लेख मिलता है कि इन सबका जन्म सन् 1820 ईस्वी से लेकर 1835 ईस्वी के बीच हुआ.

कुछ इस तरह बीता था सिद्दो-कान्हू का बचपन

वशंजों के पास जो वंशावली है उसके मुताबिक केवल सिद्धो की शादी हुई थी. उनके ही बच्चों से इस परिवार की वंश पंरपरा चली. इस समय भोगनाडीह में सिद्दो कान्हू के परिवार की छठी पीढ़ी निवास करती है. पूर्वजों द्वारा बताई गयी बातें ही इनकी यादों में हैं. इनका कहना है कि सिद्दो कान्हू चांद और भैरव का बचपन आम तरीके से ही बीता. जंगल मैदान में खेलते हुये. नदी में तैराकी सीखते हुये. धनुष बाण चलाना सीखते हुये.

महाजन-साहूकारों के कृत्य से हुआ आक्रोश

सिद्दो कान्हू जब कुछ बड़े हुये तो अपने खेत में उगी फसल, सब्जियां और गाय का दूध लाकर पंचकठिया बाजार में बेचने लगे. उस समय पंचकठिया बहुत बड़ा बाजार हुआ करता था. जहां व्यापक पैमाने पर वस्तु विनिमय का काम होता था. यहां बंगाली महाजनों और साहूकारों का बोलबाला था.

यहीं सिद्धो कान्हू ने देखा कि महाजनों और साहूकारों के लठैत किस तरह आदिवासियों का शोषण करते हैं. भोले भाले आदिवासियों से उनका सामान छिन लिया जाता. उनको छोटी-छोटी बात पर मारा पीटा जाता. आदिवासी महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार किया जाता. अंग्रेज कर्मचारी भी उन्हें प्रताड़ित करते.

इन सब बातों ने सिद्दो कान्हू के मन में साहूकारी-महाजनी प्रथा औऱ अंग्रेजी सत्ता के खिलाफ आक्रोश भर दिया. जिसका परिणाम आगे चलकर हूल क्रांति के रूप में सामने आया.

सिद्धो कान्हू ने इन महाजनों और साहूकारों के खिलाफ विद्रोह करने का फैसला किया. चूंकि इन्हें अंग्रेजों का संरक्षण हासिल था इसलिये ये संघर्ष सीधा ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ विद्रोह था.

फूलो-झानों ने भी निभाई थी अहम भूमिका

चारों भाई तो इस क्रांति में शामिल हुये ही. बहनें, फूलो झानों ने भी अहम भूमिका निभाई. किसी भी आंदोलन के लिये अहम बात होती है कि उनका सूचना तंत्र कितना मजबूत है. कितनी बड़ी संख्या में लोगों को विश्वास में लिया जा सकता है.

साथ ही संघर्ष के दौरान ये भी अहम होता है कि युद्धभूमि में लड़ाकों को सही वक्त पर हथियार और रसद मिलता रहे. क्योंकि बिना हथियार औऱ भूखे पेट लड़ाई नहीं जीती जा सकती. फूलो-झानों ने यहां भी अहम भूमिका अदा की.

उन्होंने बढ़ई और लोहार जैसी जातियों से संपर्क किया. उन्हें क्रांति का महत्व समझाया और संगठन में शामिल किया. बढ़ई और लोहार क्रांतिकारियों के लिये तीर-कमान, भाला, फरसा, टांगी जैसे हथियार तैयार करते थे.

फूलो-और झानों ने भोगनाडीह सहित आसपास की महिलाओं को इकट्ठा किया. छोटी-छोटी गुप्तचर टीमें बनाईं. विरोधियों से जुड़ी अहम जानकारियां क्रांतिकारियों तक पहुंचाई. क्रांतिकारियों को सही वक्त पर खाना और हथियार मिल सके ये सुनिश्चित किया.

जाहिर है कि यदि सिद्धो कान्हू हूल क्रांति के प्रणेता हैं तो उनकी बहनें फूलों और झानों ने उसमें सूत्रधार का काम किया. इसलिये, ऐसे वक्त में जब समाज महिलाओं के लिये बहुत ही रूढ़िवादी था. फूलो झानों ने अपने भाइयों के साथ मिलकर एक मिसाल कायम की.

संबंधित खबर और खबरें

यहां साहिबगंज न्यूज़ (Sahibganj News) , साहिबगंज हिंदी समाचार (Sahibganj News in Hindi), ताज़ा साहिबगंज समाचार (Latest Sahibganj Samachar), साहिबगंज पॉलिटिक्स न्यूज़ (Sahibganj Politics News), साहिबगंज एजुकेशन न्यूज़ (Sahibganj Education News), साहिबगंज मौसम न्यूज़ (Sahibganj Weather News) और साहिबगंज क्षेत्र की हर छोटी और बड़ी खबर पढ़े सिर्फ प्रभात खबर पर .

होम E-Paper News Snaps News reels
Exit mobile version