राजमहल/मंगलहाट. राजमहल प्रखंड अंतर्गत कन्हैयास्थान स्थित ऐतिहासिक कन्हैयानाटशाला (इस्कॉन मंदिर) को भगवान श्रीकृष्ण की लीला स्थली और गुप्त वृंदावन के रूप में जाना जाता है. मान्यता है कि यहीं श्री चैतन्य महाप्रभु को भगवान श्रीकृष्ण के बालरूप के दर्शन हुए थे. वर्तमान में यहां श्रीकृष्ण, राधारानी और श्री चैतन्य महाप्रभु के पदचिह्न आज भी विद्यमान हैं, जो देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं और भक्तों के लिए आस्था का केंद्र बने हुए हैं. इसी क्रम में पश्चिम बंगाल के मायापुर (इस्कॉन) और मालदा जिले से आए गोविंद दास डिपार्टमेंट के मैनेजर जगन्नाथ प्रभु के नेतृत्व में करीब 25 कृष्णभक्त रविवार को कन्हैयास्थान पहुंचे. यात्रा की शुरुआत उन्होंने महाराजपुर स्थित प्रसिद्ध मोतीझरना में स्नान और भगवान शिव के शिवलिंग पर पूजा-अर्चना कर की. मोतीझरना से निकलकर कृष्णभक्तों ने गंगा नदी में स्नान कर विधिवत गंगा पूजन किया और हरे राम हरे कृष्ण के संकीर्तन करते हुए कन्हैयास्थान मंदिर पहुंचे. वहां उन्होंने मंदिर की परिक्रमा की और भक्ति भाव से पूजा-अर्चना में लीन हो गये. संध्या के समय मंदिर परिसर में तुलसी आरती, भजन-कीर्तन और संकीर्तन कार्यक्रम का आयोजन हुआ, जिसमें सभी भक्तगण भक्ति में पूरी तरह डूबे नजर आये. मंदिर परिसर हरे राम हरे कृष्ण के जाप से गूंज उठा और श्रद्धालुओं में गहरी आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार हुआ. कन्हैयास्थान में इस प्रकार की नियमित धार्मिक गतिविधियां यहां की आध्यात्मिक महत्ता को दर्शाती हैं और यह स्थल न केवल झारखंड, बल्कि पूरे देश के श्रद्धालुओं के लिए आस्था और भक्ति का प्रमुख केंद्र बनता जा रहा है.
संबंधित खबर
और खबरें